सुप्रीम कोर्ट ने साहिबगंज के बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर विवाद से जुड़े मामले में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को प्रतिवादी बनाने व शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया गया है. कोर्ट ने मामले में प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी किया. मामले की अगली सुनवाई तीन मार्च को होगी.
मामले की सुनवाई के दाैरान कोर्ट ने माैखिक रूप से कहा कि इस मामले में इडी की कोई भूमिका प्रतीत नहीं होती है. जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. प्रार्थी झारखंड सरकार ने एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को चुनाैती दी है.
इडी की काेई भूमिका नहीं-इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल व महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि इडी को बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर विवाद मामले में जांच का अधिकार नहीं है. इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है. यह आइपीसी के उल्लंघन का मामला है. इसलिए एकल पीठ का इडी को मामले में प्रतिवादी बनाने का आदेश गलत है. उन्होंने आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया.
शंभूनंदन कुमार ने झारखंड हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी. प्राथी ने आइए याचिका दायर कर प्रवर्तन निदेशालय को प्रतिवादी बनाने व टोल प्लाजा टेंडर विवाद मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की. हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने शंभू नंदन कुमार की आइए याचिका को स्वीकार कर इडी को प्रतिवादी बनाते हुए शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया.
शंभूनंदन ने 22 जून, 2020 को बरहरवा टोल प्लाजा के टेंडर मामले में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा सहित अन्य के खिलाफ बरहरवा थाना में प्राथमिकी (85/2020) दर्ज करायी थी. प्रार्थी ने मामले में पुलिस द्वारा 24 घंटे के अंदर मंत्री व विधायक प्रतिनिधि को क्लीन चिट देने की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है.