प्रमुख संवाददाता (रांची): सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के जिलों में शराब के होलसेल और रिटेल के टेंडर में गड़बड़ी से संबंधित मामले में झारखंड हाइकोर्ट द्वारा लिये गये स्वत: संज्ञान पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल हाइकोर्ट में इससे संबंधित मामले में आगे की कार्यवाही स्थगित रहेगी. झारखंड सरकार की ओर से दायर एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. याचिका में झारखंड सरकार की ओर से बताया गया है कि यह मामला जनहित के योग्य नहीं है. इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. इसी तरह के शिव शंकर शर्मा के केस को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. कहा गया कि राजनीतिज्ञों के खिलाफ हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की प्रथा चल रही है. ऐसे मामलों में जनहित याचिका का दुरुपयोग किया जा रहा है.
प्रार्थी व उसके अधिवक्ता का नाम केस से हटा कर हाइकोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड के जिलों में शराब के होलसेल एवं रिटेल के टेंडर में गड़बड़ी से संबंधित मामले में दायर उमेश कुमार की जनहित याचिका में राज्य सरकार की हस्तक्षेप याचिका को स्वीकृत करते हुए इस केस के प्रार्थी उमेश कुमार व उनके अधिवक्ता राजीव कुमार का नाम हटाते हुए मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. राज्य सरकार ने आइए दाखिल कर कहा था कि इस केस के प्रार्थी एवं उनके अधिवक्ता का क्रेडेंशियल सही नहीं है. इसलिए इन दोनों को नाम इस केस से हटाया जाये. याचिका में कहा गया था कि राज्य के जिलों में शराब के होलसेल टेंडर के टेंडर में शामिल होने के लिए 25 लाख रुपये नॉन रिफंडेबल राशि तय की गयी थी. टेंडर लेने के लिए कोलकाता से झारखंड के तीन जिलों में अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये भेजे गये थे. यह उन कंपनियों के खाते में भेजा गया था, जिनके खाते में मात्र दो-चार रुपये हुआ करते थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है