रांची : एक समय रांची के लिए आतंक का पर्याय बने सुरेंद्र सिंह राैतेला उर्फ सुरेंद्र बंगाली के एक आपराधिक मामले में सिविल कोर्ट रांची से ज्यूडिशियल रिकॉर्ड गायब हैं. केस से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड न तो सिविल कोर्ट में, न डोरंडा थाना में और न ही एसपी के पास मिल रहा है. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सुनवाई के दौरान मामले को गंभीरता से लिया.
अदालत ने रिटायर्ड प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज जीके राय की वन मैन फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाते हुए जांच का आदेश दिया.
अदालत ने कमेटी को डोरंडा थाना कांड संख्या 77/1987 के तहत दर्ज प्राथमिकी से संबंधित गायब रिकॉर्ड मामले की जांच कर 45 दिनों के अंदर सीलबंद कवर में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. कमेटी को यह भी बताने को कहा गया है कि इस मामले में दोषी कौन है? दोबारा रिकॉर्ड तैयार क्यों नहीं की गयी?
प्रिंसिपल ज्यूडिशियल कमिश्नर को तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया तथा हाइकोर्ट को रिपोर्ट करने को कहा गया. प्रिंसिपल ज्यूडिशियल कमिश्नर व एसएसपी को वन मैन कमेटी को सारे संसाधन उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया गया. कमेटी का मानदेय 35000 रुपये होगा, जिसका भुगतान राज्य सरकार करेगी. आदेश की प्रति प्रिंसिपल ज्यूडिशियल कमिश्नर व एसएसपी को फैक्स से भेजने का निर्देश दिया गया. उक्त निर्देश देते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई दो माह के लिए स्थगित कर दी.
इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता लुकेश कुमार ने पैरवी की. प्रार्थी सुरेंद्र सिंह राैतेला ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है. हाइकोर्ट ने कहा, रिकॉर्ड गायब होना अत्यंत गंभीर मामला है
सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने कहा कि ज्यूडिशियल रिकॉर्ड का गायब हो जाना अत्यंत गंभीर मामला है. यह संबंधित अधिकारियों की गंभीरता को भी दर्शाता है. 20 वर्षों में संबंधित केस के गायब रिकॉर्ड को प्राप्त करने या रिकॉर्ड दोबारा तैयार करने के लिए कितने गंभीर प्रयास किये गये.
रिकॉर्ड गायब होने के लिए संबंधित लापरवाह अधिकारियों या कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. इस मामले में अब तक प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गयी है. संबंधित अधिकारियों के इस तरह के रवैये की बिल्कुल भी कल्पना नहीं की जा सकती है. लगता है कि मामले को हल्के ढंग से लिया गया.
गायब रिकॉर्ड खोजने के लिए एक समिति बना दी गयी, जिसने आज तक रिपोर्ट नहीं दी है. समिति का कार्य धीमा है. सिर्फ कागज पर है. यह किसी काम की नहीं है. मामले की उचित जांच भी नहीं की गयी है. अदालत रिकॉर्ड गायब होने के मामले को हल्के में नहीं ले सकती है. यह स्थिति परेशान करनेवाला है.
प्रार्थी सुरेंद्र सिंह राैतेला ने वर्ष 2014 में हाइकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता लुकेश कुमार ने अदालत को बताया कि डोरंडा थाना कांड संख्या-77/1987 (जीआर 576/1987) से संबंधित रिकॉर्ड खोजने की मांग कर रहा है. केस का रिकॉर्ड वर्ष 1999 से गायब है.
वर्ष 1988 में चार्जशीट भी दायर हो चुकी है. इस मामले में उसे रिमांड किया गया है. केस का रिकॉर्ड नहीं रहने के कारण अब तक मामले में सुनवाई शुरू नहीं हो पायी है. इस मामले में उसे सत्र न्यायालय से जमानत मिली हुई है.
Posted By : Sameer Oraon