Solar Eclipse in Jharkhand: सूर्य दिवाली की रात देवी लक्ष्मी की आराधना और मंत्र जप करना है शुभ फलदायी
surya grahan date time and sutak kaal in ranchi: सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) की कुल अवधि 4 घंटे 3 मिनट की है. उन्होंने बताया कि झारखंड की राजधानी रांची समेत देश के अन्य हिस्सों में सूर्यग्रहण के मोक्ष से पहले ही सूर्यास्त हो जायेगा. इसलिए भारत में सूर्यास्त को ही सूर्य ग्रहण का मोक्ष माना जायेगा.
Solar Eclipse in Jharkhand: दिवाली के अगले दिन भारत में सूर्य ग्रहण (Surya Grahan in Ranchi) लग रहा है. झारखंड (Jharkhand News) समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा. सूर्ग्र ग्रहण का सूतक ग्रहण काल के आरंभ होने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. पंडित रामदेव पांडेय कहते हैं कि 25 अक्टूबर 2022 को 2 बजकर 29 मिनट पर सूर्य ग्रहण लग रहा है. ऐसे में इस ग्रहण का सूतक 24 अक्टूबर 2022 यानी दीपावली (Happy Diwali) की रात 2 बजकर 29 मिनट से लग जायेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे में सूर्य दिवाली (Surya Diwali) की रात देवी लक्ष्मी की आराधना और उनके मंत्र का जप करना बहुत ही शुभ फलदायी होगा.
सूर्यास्त ही माना जायेगा सूर्य ग्रहण का मोक्ष
पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि मंगलवार (25 अक्टूबर) को दोपहर में 2:29 बजे सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) का प्रारंभ होगा. सूर्य ग्रहण का मध्य काल शाम 4:30 बजे तक रहेगा. ग्रहण की समाप्ति शाम को 6:32 बजे होगी. इस तरह सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 3 मिनट की है. उन्होंने बताया कि झारखंड की राजधानी रांची समेत देश के अन्य हिस्सों में सूर्यग्रहण के मोक्ष से पहले ही सूर्यास्त हो जायेगा. इसलिए भारत में सूर्यास्त को ही सूर्य ग्रहण का मोक्ष माना जायेगा.
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ग्रहण का सूतक काल
पंडित रामदेव ने कहा कि दिवाली की रात सूतक लग जाने के बाद से मंदिर के दरवाजे बंद हो जायेंगे. 24 अक्टूबर की रात से अगले दिन यानी 25 अक्टूबर की शाम तक ग्रहण संबंधी नियमों का पालन किया जायेगा. इस दौरान देवी-देवताओं का स्पर्श वर्जित रहेगा. हां, मंत्र का जप आप कर सकते हैं. अपने आराध्य का ध्यान करते रहें.
25 अक्टूबर को नहीं होगा पूजा-पाठ
मंगलवार को मंदिरों के पट नहीं खुलेंगे. सुबह के सभी पूजा पाठ बंद रहेंगे. शाम को 6:35 बजे मंदिर के पट खुलेंगे. शाम में ब्राह्मण मंदिर खोलेंगे. अगर घर में मंदिर है, तो स्नान करने के बाद गंगा जल छिड़कें. चावल, रुपये आदि छूकर मंदिर को खोलें. देवताओं के कपड़े बदलें. भोग लगायें और आरती करें.