केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना झारखंड में नहीं होगा लागू, भूमि के डिजिटल सर्वे और ड्रोन मैपिंग पर रोक
झारखंड में केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना लागू नहीं होगी, इस योजना के तहत संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे किया जा रहा है व ड्रोन मैपिंग हो रही है.
रांची : राज्य में फिलहाल केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना लागू नहीं की जायेगी. इस योजना के तहत संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. केंद्र की योजना के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट के तहत खूंटी में डिजिटल व ड्रोन मैपिंग हो रही है. माले विधायक विनोद सिंह के एक सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में शुक्रवार को कहा कि इस योजना को राज्य सरकार ने होल्ड कर दिया है.
ड्रोन सर्वे से संबंधित यह योजना भारत सरकार की है. राज्य सरकार को जानकारी मिली है कि कई प्रखंडों में यह योजना चलायी जा रही है. लोगों में संशय है और इसे लेकर नाराजगी है़
ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गयी
माले विधायक विनोद सिंह ने सदन में मामला उठाते हुए बताया कि स्वामित्व योजना के तहत खूंटी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति और भूमि का डिजिटल सर्वे हो रहा है. इस क्षेत्र के पेसा अनुसूचित क्षेत्र होने पर भी ग्रामसभा की सहमति नहीं ली गयी है. इससे ग्रामीणों में असंतोष व संशय व्याप्त है. श्री सिंह के इस सवाल पर मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने योजना पर रोक लगाने की बात कही़
देश के छह लाख 62 हजार से ज्यादा गांवों का होना है ड्रोन सर्वेक्षण : केंद्र की स्वामित्व योजना के तहत गांवों का सर्वेक्षण व उन्नत तकनीक से मानचित्रण होना है. इसके तहत ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल होना है.
यह योजना चार चरणों में केंद्र सरकार ने पूरा करने का निर्णय लिया है. देशभर के 36 राज्यों के छह लाख 62 हजार से ज्यादा गांवों में वर्ष 2024 तक योजना पूरी होगी. केंद्र ने इस योजना की शुरुआत वर्ष 2020 में की थी. पहले पायलट चरण में छह राज्यों के 763 गांवों में एक लाख लोगों के बीच प्रॉपर्टी कार्ड का वितरण किया गया है. दूसरे चरण में झारखंड सहित दूसरे राज्यों में इस योजना की शुरुआत हुई. इसमें 20 राज्य शामिल थे़
झारखंड में इस योजना के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है. खूंटी में पिछले कई दिनों से आंदोलन चल रहा है. आंदोलन में दयामानी बारला के साथ आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, आदिवासी एकता मंच, मुंडारी खूंटकटी परिषद समेत एक दर्जन संगठन के बैनर तले पिछले दिनों खूंटी में प्रदर्शन किया गया था.
संगठनों का कहना है कि जमीन पर गांव के लोगों का अधिकार है. उनके पास सबकुछ है. रैयतों के पास पट्टा है. पेसा क्षेत्र में अचानक इस तरह की योजनाओं को लादा नहीं जा सकता है. जल, जंगल, जमीन पर गांव का अधिकार है. आदिवासी-मूलवासियों ने जंगल को रहने लायक बनाया है. सरकार टैक्स जुटाने के लिए यह सबकुछ कर रही है. ग्रामीण इलाके में सुविधा देने के बहाने आदिवासियों की जमीन पर नजर है.
Posted By: Sameer Oraon