झारखंड में सिस्टम की विफलता : जिनका काम पढ़ाना-लिखाना, वे लड़ रहे मुकदमे

झारखंड स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग कुल 1991 मुकदमा लड़ रहा है. इसमें लगभग 1750 मुकदमा शिक्षकों ने दायर किया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 14, 2020 8:29 AM

jharkhand news, ranchi news, jharkhand teacher latest news, jharkhand teachers case status रांची : जिला से लेकर राज्य स्तर तक स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग कुल 1991 मुकदमा लड़ रहा है. इसमें लगभग 1750 मुकदमा शिक्षकों ने दायर किया है. जबकि कुछ मामले शिक्षकों की नियुक्ति व पदाधिकारियों से संबंधित हैं . कुल मामलों में से 1687 ऐसे हैं, जिनका निराकरण जिलास्तर पर ही हो जाना चाहिए था.

जिला स्तर पर शिक्षकों की समस्या का समाधान नहीं होने पर उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर की. शिक्षकों द्वारा दायर ज्यादातर याचिका में जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला के उपायुक्त तथा संबंधित निदेशालय के निदेशक से लेकर विभागीय सचिव तक को प्रतिवादी बनाया गया है. लंबित न्यायिक मामलों में 1687 रिट के तथा 218 अवमाननावाद के मामले हैं. वहीं 86 मामले एलपीए के हैं.

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार जिला स्तर पर कुल 1687 न्यायिक मामले लंबित हैं. कोई ऐसा जिला नहीं है, जहां के शिक्षकों ने मुकदमा न किया हो. सबसे अधिक 194 मामले पूर्वी सिंहभूम के हैं. जबकि सबसे कम 27 हजारीबाग जिला के. न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर 218 मामले अवमाननावाद के भी चल रहे हैं. अवमाननावाद के सबसे अधिक 45 मामले पश्चिमी सिंहभूम जिले के हैं. जबकि सबसे कम सिर्फ एक मामला कोडरमा जिला का है.

जिला स्तर पर सुनवाई न होने से बढ़ते हैं मामले :

शिक्षकों द्वारा दायर ज्यादातर मामले जिलास्तरीय होते हैं. झारखंड में प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय तक के शिक्षकों का संवर्ग जिला स्तरीय है. शिक्षक के प्रोन्नति से लेकर सेवानिवृत्ति लाभ तक का मामला जिला स्थापना समिति से जुड़ा होता है. प्रावधान के अनुरूप शिक्षक पहले अपने मामले जिला स्तर के शिक्षा पदाधिकारी के समक्ष रखते हैं. वहां सुनवाई न होने या फिर निर्णय से संतुष्ट न होने की स्थिति में उपायुक्त के पास आवेदन देते हैं.

उपायुक्त के स्तर से मामले की सुनवाई न होने या निर्णय से असंतुष्ट होकर शिक्षक हाइकोर्ट में मुकदमा दायर करते हैं. यह देखा जाता है कि अधिकतर मामलों में जिला स्तर पर समय पर शिक्षकों के मामलों की सुनवाई नहीं की जाती है. इस कारण शिक्षक न्यायालय की शरण लेते हैं. इससे शिक्षा विभाग से संबंधित कोर्ट केस का मामला बढ़ता है. हालांकि कई ऐसे मामले भी हैं, जिनमें शिक्षक इस प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं.

विभाग के प्रयास से कम हुई है मुकदमों की संख्या

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों द्वारा हाल के वर्षों में किये गये प्रयास से मुकदमों की संख्या में कमी आयी है. लंबित न्यायिक मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा समय-समय पर जिलों को दिशा निर्देश भी जारी किया गया है.

पारा शिक्षक डीएसइ को देते हैं आवेदन

पारा शिक्षक सहित परियोजना कर्मी से जुड़े मामलों के निष्पादन के लिए जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) को अपीलीय पदाधिकारी बनाया गया है. पारा शिक्षकों को पहले अपना मामला डीएसइ के समक्ष रखना होता है. वहां से सुनवाई न होने या निर्णय से संतुष्ट न होने पर पारा शिक्षक झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक के समक्ष अपील कर सकते हैं. इसके बाद ही कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं. इस प्रक्रिया के कारण गैर निष्पादित मामले कम हुए हैं.

जिलावार लंबित न्यायिक मामले जिला रिट की संख्या अवमाननावाद एलपीए कुल

पूर्वी सिंहभूम 194 10 05 209

पश्चिमी सिंहभूम 120 45 05 170

गुमला 133 11 02 146

रांची 109 17 12 138

देवघर 88 10 09 107

पलामू 95 04 04 103

गोड्डा 82 13 05 100

चतरा 85 07 03 95

धनबाद 68 06 06 80

सिमडेगा 54 09 07 70

गिरिडीह 63 05 01 69

दुमका 60 05 04 69

लातेहार 63 03 02 68

पाकुड़ 58 04 04 66

बोकारो 55 06 01 62

गढ़वा 54 06 01 61

खूंटी 44 11 03 58

साहिबगंज 47 07 04 58

कोडरमा 51 01 02 54

सरायकेला 34 11 04 49

लोहरदगा 41 05 01 47

जामताड़ा 30 09 00 39

हजारीबाग 27 09 01 37

रामगढ़ 32 04 00 36

ज्यादातर मामले प्रोन्नति व पेंशन के, जिन्हें जिला स्तर पर ही निबटाया जाना चाहिए था

प्राथमिक से उच्च विद्यालय तक के शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला

सेवानिवृत्ति लाभ व पेंशन भुगतान से संबंधित मामला

प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालय तक में शिक्षक नियुक्ति

पारा शिक्षकों का समायोजन को लेकर दायर याचिका

अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों की सेवा समाप्त किया जाना

हाइस्कूल, इंटर कॉलेज को अनुदान, स्कूल व इंटर कॉलेज की मान्यता

अल्पसंख्यक विद्यालय के शिक्षकों की सेवा संपुष्टि व वेतन निर्धारण संबंधी मामले

1,687 मामले रिट के, 218 मामले अवमानना के क्या हो रहा नुकसान

इतनी अधिक संख्या में न्यायिक मामले चलने से जिला से लेकर निदेशालय स्तर तक विभाग का कामकाज प्रभावित होता है. जिला स्तर की शिक्षा पदाधिकारी से लेकर निदेशालय स्तर तक के पदाधिकारी मुकदमा से संबंधित मामलों की तैयारी में लगे रहते हैं. इससे सामान्य कामकाज प्रभावित होता है.

केस स्टडी

बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 1994 में चयनित शिक्षकों ने प्रोन्नति को लेकर वर्ष 2006 में झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की. हाइकोर्ट के निर्णय के खिलाफ शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2013 में शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया.

इसके बाद वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की प्रोन्नति के लिए जिलों को पत्र भेजा गया. इसके बाद भी राज्य के आधे से अधिक जिलों में अब तक प्रावधान के अनुरूप शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिली. जिन जिलों में शिक्षकों को प्रोन्नति दी गयी है, वहां के शिक्षकों ने भी प्रोन्नति को त्रुटिपूर्ण बता कर फिर से याचिका दायर की है. ऐसे कई मामले हैं, जो वर्षों से चल रहे हैं. ज्यादातर मामले प्रोन्नति व पेंशन के, जिन्हें जिला स्तर पर ही निबटाया जाना चाहिए था

posted by : sameer oraon

Next Article

Exit mobile version