सीयूजे में रिसर्च के महत्व पर क्या बोले तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो एपी दास?
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने इस तरह के मूल्यवान कार्यक्रम के आयोजन की सराहना की. उन्होंने कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान को आत्मसात करने और इसे अपने शोध प्रयासों में लागू करने का आग्रह किया.
रांची: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के कार्यक्रम और विस्तार सेल द्वारा ‘अन्तरविषयक अनुसंधान में अभ्यास’ द्विसाप्ताहिक क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व पद्मश्री से सम्मानित प्रो एपी दास ने अन्तरविषयक अनुसंधान को उच्चतम महत्व का बताया. उन्होंने बताया कि अनुसंधान का तब तक कोई महत्व नहीं है जब तक इसका प्रयोग उत्पाद, नियम और प्रैक्टिसेज के रूप न किया जाये.
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने इस तरह के मूल्यवान कार्यक्रम के आयोजन की सराहना की. उन्होंने कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान को आत्मसात करने और इसे अपने शोध प्रयासों में लागू करने का आग्रह किया. विभागाध्यक्ष डॉ शशि सिंह, डीन प्रो तपन कुमार बसंतिया ने भी विचार रखे. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो एमए सुधीर (यूजीसी के एमेरिटस प्रोफेसर, तमिलनाडु) ने बताया कि कैसे विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों में शोध शीर्षक तैयार करना है. कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ एम रामकृष्णन रेड्डी ने कहा कि इस सत्र में भारतीय राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 177 से अधिक संकाय सदस्यों और शोध विद्वानों ने भाग लिया. इनमें झारखंड, ओडिशा, बिहार, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों के प्रतिभागी शामिल थे.
डीओई के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विमल किशोर ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों की उपस्थिति और भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया. मौके पर डॉ एम रामकृष्णा रेड्डी, डॉ विनय कुमार यादव, डॉ शिल्पी राज, डॉ विमल किशोर, डॉ मानवी यादव, डॉ विजय कुमार यादव और डॉ नीरा गौतम समेत अन्य मौजूद थे.