झारखंड:टाटा स्टील फाउंडेशन नेशनल फिल्म कॉम्पिटिशन में जादूगोड़ा को पहला पुरस्कार, फिल्मकार सतीश मुंडा सम्मानित
रामगढ़ जिले के सतीश मुंडा ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है और वर्तमान में वे मुंबई में रहते हैं. वे कहते हैं कि अपने झारखंड की कहानी को लेकर आगे बढ़ना है. उनकी पहली हिंदी फीचर फिल्म चक्की पूरे भारत में रिलीज़ हो चुकी है.
रांची: झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले फिल्मकार सतीश मुंडा की फिल्म जादूगोड़ा ने टाटा स्टील फाउंडेशन नेशनल फिल्म कॉम्पिटिशन में पहला स्थान हासिल किया है. जमशेदपुर में आयोजित सम्मान समारोह में आज शनिवार को इन्हें सम्मानित किया गया. टाटा स्टील फाउंडेशन नेशनल फिल्म कॉम्पिटिशन में कुल 52 फिल्मों में जादूगोड़ा को पहला पुरस्कार दिया गया. 20 मिनट की यह फिल्म हिंदी और नागपुरी भाषा में बनी है. यह फिल्म झारखंड की कहानी पर बनी है. जादूगोड़ा में यूरेनियम माइनिंग के कारण वहां के आदिवासियों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. यह फिल्म ब्राजील के रियो फिल्म फेस्टिवल के लिए चयनित हुई है. अमेरिका में मैराथन स्क्रीनिंग होगी, जहां पर इस फिल्म को अलग-अलग जगहों पर दिखाया जाएगा.
पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से पढ़े हैं सतीश मुंडा
रामगढ़ जिले के सतीश मुंडा ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है और वर्तमान में वे मुंबई में रहते हैं. वे कहते हैं कि अपने झारखंड की कहानी को लेकर आगे बढ़ना है. उनकी पहली हिंदी फीचर फिल्म चक्की पूरे भारत में रिलीज़ हो चुकी है. सतीश को शुरू से झारखंड की कहानी ज्यादा प्रभावित करती रही है. उनकी पहले की फिल्में भी दुनियाभर के फिल्म फेस्टिवल में चुनी गई हैं.
यूरेनियम के कलंक से सदियों से जूझ रहा है जादूगोड़ा
इससे पहले फिल्मकार श्रीप्रकाश की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बूढ़ा बिप्स इन जादूगोड़आ नाम भी काफी चर्चित है. माइनिंग के कारण वहां के लोगों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है. यूरेनियम के कारण पीने के पानी से लेकर हवा में भी जहर फैल रही है, जो वहां के लोगों के लिए अभिशाप है.