रांची. झारखंड हाइकोर्ट की जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत ने जमशेदपुर श्रम न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवाली टाटा आयरन व स्टील कंपनी लिमिटेड की याचिका पर फैसला सुनाया. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्रार्थी की याचिका खारिज कर दी. साथ ही जमशेदपुर श्रम न्यायालय के 25 जनवरी 2010 के आदेश (अवार्ड) को सही ठहराते हुए उसे बरकरार रखा.
प्रबंधन कर्मी के खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं कर सका
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि हमने उन साक्ष्यों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है, जो श्रम न्यायालय द्वारा दर्ज निष्कर्षों का आधार बने. ये साक्ष्य के उचित मूल्यांकन पर आधारित हैं. यह दर्ज किया गया है कि प्रबंधन संबंधित कर्मचारी के खिलाफ आरोपों को साबित नहीं कर सका. यह ऐसा मामला भी नहीं है, जिसमें किसी प्रासंगिक साक्ष्य को नजरअंदाज किया गया हो या किसी अस्वीकार्य साक्ष्य को ध्यान में रखा गया हो. इस अदालत का मानना है कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों की फिर से जांच करने की कोई गुंजाइश नहीं है. प्रार्थी के विद्वान वकील रिकॉर्ड से कोई भी ऐसी सामग्री नहीं दिखा पाये हैं, जिससे यह माना जा सके कि अवार्ड गलत है. अदालत को इस रिट याचिका में कोई मेरिट नहीं दिखती, जिस कारण इसे खारिज किया जाता है. इससे पूर्व प्रतिवादी क्रेन ऑपरेटर आरएन सिंह की ओर से अधिवक्ता दिनेश कुमार अंबष्ठा ने पैरवी की.
श्रम न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी
प्रार्थी टाटा आयरन व स्टील कंपनी लिमिटेड ने याचिका दायर कर श्रम न्यायालय जमशेदपुर के आदेश को चुनौती दी थी. श्रम न्यायालय ने प्रार्थी क्रेन ऑपरेटर आरएन सिंह के मामले में सुनवाई कर अवार्ड घोषित किया था. सेवा से हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए पुनर्बहाल करने तथा सेवा से हटाने की तिथि से 50 प्रतिशत (बैक वेजेज) भुगतान का आदेश दिया था. यह मामला अगस्त 1995 का है, जहां एक क्रेन ऑपरेटर को दूसरे क्रेन ऑपरेटर से मारपीट करने व गाली-गलौज करने का आरोप लगाया गया था. मामले में कंपनी की ओर से जांच करायी गयी थी, जिसमें आरोप को सही पाया गया था. उसके बाद आरोपित वर्कमैन आरएन सिंह को सेवा से हटाया गया था. सेवा से हटाने के आदेश को आरएन सिंह ने श्रम न्यायालय में चुनौती दी थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है