झारखंड लौटे प्रवासियों को रांची में इस तरह से लूटा
परदेस में फंसे झारखंड के लोग बड़ी उम्मीदों के साथ अपने घर लौटे थे. सरकार ने उन्हें अपने प्रदेश लौटने में मदद की, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें लुटने से बचाने वाला कोई नहीं था. गुरुवार को रांची रेलवे स्टेशन पर एक विशेष ट्रेन पहुंची, तो यहां से अलग-अलग जिलों में जाने वालों से प्राइवेट वाहन के चालकों ने किराये के नाम पर उन्हें लूटना शुरू कर दिया. रांची से रामगढ़ के लिए एक व्यक्ति से 3000 रुपये किराया वसूला गया.
रांची : परदेस में फंसे झारखंड के लोग बड़ी उम्मीदों के साथ अपने घर लौटे थे. सरकार ने उन्हें अपने प्रदेश लौटने में मदद की, लेकिन यहां आने के बाद उन्हें लुटने से बचाने वाला कोई नहीं था. गुरुवार को रांची रेलवे स्टेशन पर एक विशेष ट्रेन पहुंची, तो यहां से अलग-अलग जिलों में जाने वालों से प्राइवेट वाहन के चालकों ने किराये के नाम पर उन्हें लूटना शुरू कर दिया. रांची से रामगढ़ के लिए एक व्यक्ति से 3000 रुपये किराया वसूला गया.
गिरिडीह के रहने वाले रतन कुमार साव ने बताया कि दिल्ली में खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी. किसी तरह दिल्ली से रांची पहुंचे हैं. उनके बाल-बच्चे धूप में परेशान हो रहे थे. उनकी जेब में मात्र 500 रुपये थे और गाड़ी वाला 5,000 रुपये मांग रहा था.
इसी तरह रांची जिला के लापुंग के रहने वाले रफीक मियां ने बताया कि वह 4 मई को लखनऊ गया था. लॉकडाउन में वहीं फंस गया. वहां से किसी तरह रांची पहुंचा. लखनऊ से रांची तो आ गया, लेकिन अब लापुंग जाने की स्थिति में नहीं है. गाड़ी वाला एक आदमी का 2,000 रुपये मांग रहा है. पैसे देने की स्थित में वह नहीं है.
गोड्डा के राजा बाबू भगत ने बताया कि बड़ी मुश्किल से रांची पहुंचा हूं. यहां कोई व्यवस्था नहीं दिख रही. सरकारी गाड़ी उपलब्ध नहीं है. गोड्डा जाने के लिए प्राइवेट गाड़ी वाला 18,000 रुपये मांग रहा है. मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं. घर जाने के लिए 18,000 रुपये कहां से लायें.
उल्लेखनीय है कि सरकार लोगों को घर तक पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन परदेस से लौटे लोगों की मानें, तो तमाम दावे हवा-हवाई हैं. रांची रेलवे स्टेशन पर पहुंचे लोगों ने कहा कि हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर करके रांची पहुंच गये, लेकिन कुछ सौ किलोमीटर जाने में उनके पसीने छूट रहे हैं. 200-300 रुपये किराया लगते थे, आज वह किराया हजारों में हो गया है. गाड़ी वाले मनमानी कर रहे हैं.
प्राइवेट टैक्सी ऑपरेटर रांची के लापुंग जाने के लिए प्रति यात्री 2000 रुपये मांग रहा था, तो रामगढ़ जाने के लिए 3,000 रुपये. गिरिडीह के लिए 5,000 रुपये, तो पलामू के लिए 8,000 रुपये की डिमांड टैक्सी ऑपरेटर कर रहे थे. गोड्डा के लिए तो 18,000 रुपये की मांग की गयी. सक्षम लोग इन ऑपरेटरों को पैसे देकर चले गये, लेकिन मजबूर श्रमिक और विद्यार्थी परेशान रहे. उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं था.
ज्ञात हो कि एक ट्रेवल एजेंसी ने रांची स्टेशन के बाहर फ्लेक्स पर लिख रखा था कि प्रति किलोमीटर 14-15 रुपये की दर से गाड़ी किराये पर मिलेगी. लेकिन, चूंकि सरकार के किसी नुमाइंदा ने लोगों की समस्या के बारे में जानने की कोशिश नहीं की, इसलिए प्राइवेट टैक्सी ऑपरेटर्स ने मनमानी शुरू कर दी.