TB Patients In Jharkhand : टीबी से अब भी नहीं उबर पाया है झारखंड, 2.5 % मरीजों की हो जाती है मौत, 46796 मरीज सिर्फ रांची से, ये जिला है दूसरे नंबर पर
झारखंड आज भी टीबी से जूझ रहा है. माइनिंग और औद्योगिक इलाका होने की वजह से यहां टीबी के मरीज ज्यादा मिलते हैं. हालांकि वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में टीबी के कम मरीज मिले हैं. वर्ष 2019 में कुल 55940 टीबी के मरीज मिले थे. वर्ष 2018 में 48849 मिले थे. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना काल में टीबी मरीजों की खोज अभियान में थोड़ी कमी आयी है. पर इसकी भयावहता अभी भी बनी हुई है.
Jharkhand News, Ranchi News, tuberculosis in jharkhand रांची : झारखंड में वर्तमान में 46796 टीबी के सक्रिय मरीज हैं. यहां टीबी से प्रतिवर्ष लगभग 2.5 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है. झारखंड में सर्वाधिक टीबी के मरीज राजधानी रांची में हैं. यहां 6864 सक्रिय मरीज हैं. दूसरे स्थान पर पूर्वी सिंहभूम है, जहां 4003 मरीज है. सबसे कम मरीज 464 खूंटी जिले में है. हालांकि राज्य के सभी जिलों में टीबी का संक्रमण है.
झारखंड आज भी टीबी से जूझ रहा है. माइनिंग और औद्योगिक इलाका होने की वजह से यहां टीबी के मरीज ज्यादा मिलते हैं. हालांकि वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में टीबी के कम मरीज मिले हैं. वर्ष 2019 में कुल 55940 टीबी के मरीज मिले थे. वर्ष 2018 में 48849 मिले थे. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना काल में टीबी मरीजों की खोज अभियान में थोड़ी कमी आयी है. पर इसकी भयावहता अभी भी बनी हुई है.
हर साल खर्च होते हैं 60 करोड़ :
झारखंड में टीबी उन्मूलन पर प्रत्येक वर्ष 60 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इसका अलावा केंद्र सरकार द्वारा टीबी की दवा मुफ्त दी जाती है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूनलन का लक्ष्य निर्धारित किया है.
झारखंड में टीबी उन्मूलन के लिए अभियान जारी
स्वास्थ्य विभाग के राज्य टीबी पदाधिकारी डॉ राकेश दयाल बताते हैं कि राज्य में टीबी उन्मूलन के लिए लगातार अभियान चल रहे हैं. इसमें मरीजों की खोज से लेकर दवा पहुंचाने तक का काम शामिल है. डॉ दयाल बताते हैं कि घर में ही मरीजों को दवा डॉट विधि से दवा खिलायी जाती है. इसमें पड़ोस के किसी एक व्यक्ति की इसका जिम्मा दिया जाता है.
उसे छह माह तक के लिए दवा खिलाने पर एक हजार रुपये अतिरिक्त दिये जाते हैं. गंभीर मरीजों को एक से दो वर्ष तक दवा खिलायी जाती है. ऐसे स्वयंसेवक को पांच हजार रुपये दिये जाते हैं. इसके अलावा गांवों में सहिया और टीबी से ठीक हो चुके मरीज भी दवा खिलाने का काम करते हैं. दवा मुफ्त दी जाती है.
राज्य के सभी प्रखंडों में टीबी जांच की सुविधा
टीबी संक्रमित मरीजों को पौष्टिक भोजन के लिए प्रत्येक माह 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में भेजे जाते हैं. कुछ शहरी क्षेत्र के मरीज पैसा नहीं भी लेते हैं. डॉ दयाल बताते हैं कि राज्य के सभी प्रखंडों में टीबी जांच की सुविधा है. 365 बलगम जांच केंद्र हैं. 37 सीबी नेट मशीन लगी हुई है. वहीं 200 ट्रूनेट मशीन भी है. जिससे टीबी की जांच होती है.
निक्षय मित्र करते हैं निगरानी
टीबी के लिए निजी क्लिनिक और अस्पतालों में भी निक्षय मित्र की जवाबदेही दी गयी है. जो यहां आने वाले मरीजों को ट्रैक करते हैं. इसकी सूचना सरकार को देते हैं. ताकि सरकार की निगरानी में उनका इलाज चल सके.
जिलावार टीबी के मरीज
बोकारो 2788
चतरा 634
देवघर 2268
धनबाद 2756
दुमका 2787
गढ़वा 1726
गिरिडीह 2620
गोड्डा 1483
गुमला 672
हजारीबाग 1581
जामताड़ा 670
खूंटी 464
कोडरमा 630
लातेहार 537
लोहरदगा 469
पाकुड़ 1215
पलामू 3467
प सिंहभूम 3253
पू सिंहभूम 4003
रांची 6864
साहिबगंज 2825
सरायकेला 1831
सिमडेगा 482
Posted By : Sameer Oraon