10 साल में झारखंड में 2 बार ही हो सकी टेट परीक्षा, 50 हजार अभ्यर्थी एक बार भी नहीं हुए हैं इसमें शामिल
शिक्षक बनने के लिए टेटे यानी कि शिक्षक पात्रता परीक्षा करना अनिवार्य है. लेकिन झारखंड में 10 सालों में केवल 2 ही बार ये परीक्षा आयोजित हो सकी है. इनमें लगभग 50 हजार ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिन्हें अब तक एक भी टेट में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है.
रांची : शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षक बनने के लिए अभ्यर्थी का शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टेट पास होना अनिवार्य है. झारखंड में भी वर्ष 2011 से शिक्षा का अधिकार अधिनियम प्रभावी है. इन दस वर्षों में राज्य में दस शिक्षक पात्रता परीक्षा होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक मात्र दो परीक्षा ही हो पायी हैं.
झारखंड में भी कक्षा एक से आठ तक की शिक्षक नियुक्ति में टेट अनिवार्य है. टेट में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी को पहले शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा पास करनी होती है. शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा पास अभ्यर्थी ही टेट में शामिल होते हैं. फिर टेट पास होने के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं.
राज्य में लगभग एक लाख ऐसे अभ्यर्थी हैं, जो प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा तो पास हैं, पर वह टेट पास नहीं हैं. इनमें लगभग 50 हजार ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिन्हें अब तक एक भी टेट में शामिल होने का अवसर नहीं मिला है. टेट पास नहीं होने से उनके शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री भी बेकार हो गयी है, क्योंकि बिना टेट के अभ्यर्थी निजी स्कूल में भी शिक्षक के बनने के लिए आवेदन जमा नहीं कर सकते.
झारखंड से ही टेट पास होना अनिवार्य :
झारखंड में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होना अनिवार्य है. केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा या दूसरे राज्य से सफल अभ्यर्थी नियुक्ति सरकारी विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सकते हैं. झारखंड में अब तक मात्र दो शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई है. पहली परीक्षा वर्ष 2013 तो दूसरी परीक्षा 2016 में हुई थी. हालांकि इस दौरान तीन नियमावली बन चुकी है. पहली नियमावली वर्ष 2012 में बनी थी. 2016 में इसमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई, जो वर्ष 2019 तक चली. तृतीय संशोधन वर्ष 2022 में हुआ.
नहीं शुरू हुई प्रोत्साहन योजना
रांची. राज्य में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू नहीं हो सकी. राज्य गठन के बाद से अब तक 50 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार मिल चुका है. देश के अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षकों के प्रोत्साहन के लिए योजनाएं चलायी जाती है. झारखंड में भी पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को दो वर्ष का सेवा विस्तार व दो वार्षिक वेतन वृद्धि देने की मांग उठी थी. विधानसभा अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री द्वारा संघ की ओर से दिये गये आवेदन पर नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा गया था. लेकिन एक साल से इस पर कोई पहल नहीं हुई.