Teachers Day 2022: इन शिक्षकों की आंखों में रोशनी नहीं, फिर भी जज्बे से बच्चों के जीवन संवार रहे हैं
झारखंड के शिक्षक स्वाति और मोहित लाल दोनों देख नहीं सकते हैं. लेकिन वो अपने जज्बे से कई बच्चों की जिंदगी संवार रहे हैं. स्वाति रांची केंद्रीय के विश्व विद्यालय पढ़ाती है और रांची विवि में इतिहास के शिक्षक हैं.
रांची : आज पूरे देश में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह दिन शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान जाहिर करने का दिन होता है. शिक्षक हमें अंधकार से प्रकाश की ओर राह ले जाते हैं. कितनी मुश्किलें उनकी जिंदगी में क्यों ने आये वो अपना कर्तव्य निभाने से पीछे नहीं हटते. और अपने सपने दूसरों विद्यार्थियों के जरिये पूरा करते हैं. इसी कथन को चरितार्थ किया है रांची की शिक्षिका स्वाति मोहित लाल . स्वाति दिव्यांग हैं. वह देख नहीं सकती हैं, वो केंद्रीय विद्यालय हिनू की शिक्षिका है. लेकिन उन्होंने कभी इसको अपने जीवन की कमजोरी नहीं बनने दी.
2006 में शिक्षक के रूप में अपना कैरियर शुरू किया. एक शिक्षिका रूप में शुरुआती दिनों में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनकी परिस्थिति को देखकर उन्हें लोग हर काम के योग्य नहीं समझते थे. वह आनेवाली बाधाओं के खिलाफ मजबूती के साथ मुकाबला करती रहीं. अपनी प्रतिभा के बल पर बेहतर शिक्षण कार्य कर रही हैं. अपना काम बखूबी कर रही हैं. अपनी शिक्षा से बच्चों को जीवन की दृष्टि दे रही हैं.
वीडियो रिकॉर्ड कर पढ़ाते हैं मोहित लाल
रांची. मोहित कुमार लाल रांची विवि में इतिहास के शिक्षक हैं. कोविड काल में जब ऑफलाइन कक्षाएं बंद हो गयीं, तो उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के कम्युनिटी रेडियो खांची के माध्यम से बच्चों पढ़ाया. अब तक उन्होंने 20 से अधिक वीडियो रिकॉर्ड करा चुके हैं. उन्होंने बताया कि दवाई के प्रभाव से उनके आंख की रोशनी चली गयी. पांच साल के इलाज के बाद वर्ष 1981 में इन्होंने पुनः पढ़ाई शुरू की. जब झारखंड और बिहार अलग नहीं हुआ था, तब ब्रेल लिपि और ऑडियो लाइब्रेरी की कोई सुविधा नहीं थी. तब इन्होंने दूसरों से सुनकर शिक्षा ग्रहण की.
प्रस्तुती : ईशान बनर्जी