Teachers Day 2022: झारखंड की डॉ. नंदा को क्लासरूम और बच्चों से प्यार, रिटायरमेंट के बाद भी पढ़ाना जारी
हर साल की तरह इस बार भी 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) मनाया जा रहा है. इस मौके पर हम कुछ ऐसे शिक्षकों के बारे में बता रहे है, जो रिटायरमेंट के बाद भी रोजाना सुबह कॉलेज जाकर छात्राओं को पढ़ाती हैं.
Teachers Day 2022: डॉ. नंदा घोष एक सेवानिवृत्त अध्यापिका हैं, जो 2012 में रांची वीमेंस कॉलेज से जंतु विज्ञान प्रोफेसर के पद से रिटायर हो चुकी हैं. इसके बावजूद 72 साल की उम्र में वह रोजाना सुबह कॉलेज जाकर छात्राओं को पढ़ाती हैं. इसके अलावा वह घर पर करीब 40 जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं.
पढ़ाने का है बहुत शौक: डॉ. नंदा घोष
डॉ. नंदा घोष कहती हैं मुझे पढ़ाने का बहुत शौक है. पटना में जन्म और पढ़ाई-लिखाई करने के बाद 1972 में रांची वीमेंस कॉलेज में पढ़ाना शुरू की. यहां इतना प्यार और लगाव हो गया कि रिटायरमेंट के बाद भी छात्राओं से जुड़ी रही. यहां से पढ़ी छात्राएं देश-विदेश में कार्यरत हैं. यह देखकर खुशी होती है. मुझे आज भी कॉल करके मेरा हालचाल लेती हैं. दो बच्चों को साथ रखकर स्कूल से लेकर कॉलेज तक की पढ़ाई करायी. दोनों बच्चे पुणे और नोएडा में अच्छे पद पर कार्यरत हैं. रिटायरमेंट के चार-पांच महीने के बाद ही लगा कि मुझे फिर से पढ़ाना चाहिए. कॉलेज से बुलाया गया और जाकर पढ़ाने लगी. उसी तरह घर पर खाली रहने के बाद आस-पड़ोस के बच्चों को बुलाकर पढ़ाने लगी. ज्यादातर स्कूल के वैसे बच्चे पढ़ने आते है, जिन्हें आर्थिक परेशानी के कारण पढ़ाई में बाधा आती है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से मिलने का मौका मिला
डॉ. नंदा घोष बताती हैं कि उन्हें पढ़ाई के साथ नृत्य और गीत-संगीत का भी शौक है. वर्ष 1963 में जब वे भारतीय नृत्य कला मंदिर पटना में शास्त्रीय नृत्य की छात्रा थीं तब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आये थे. उनके सामने नृत्य करने का अवसर भी मिला है. उनसे मिली और बातचीत भी की.
दुनिया में जीने की कला सिखाते हैं शिक्षक : निर्मला बहन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विवि के स्थानीय सेवा केंद्र चौधरी बगान हरमू रोड में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शिक्षक दिवस मनाया गया. केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि शिक्षक अनेक विद्यार्थियों के जीवन को शिक्षा द्वारा श्रेष्ठ, महान बनाकर इस दुनिया में जीवन जीने की कला सिखाते हैं. अच्छा विद्यार्थी विद्या में शिक्षक के समान बन जाता है. इस समानता के कारण शिक्षक के अति समीपता का अनुभव करने लगता है. अधिक समय उनके अंग-संग रहना उन्हें अच्छा लगता है. ब्रह्मचर्य, शांति और संतोष के सिंहद्वार से प्रवेश कर योगाभ्यास द्वारा ही हम अपने जीवन को सुखमय तथा स्वर्गमय बना सकते हैं.