दुमका के टीचर सपन कुमार ने गांव को क्लासरूम व मिट्टी की दीवारों को ब्लैकबोर्ड में बदला, PM- CM से मिली सराहना

कोरोना संक्रमण के इस दौर में जहां स्कूल बंद हैं, वहीं दुमका के एक टीचर सपन कुमार का जज्बा काबिले तारीफ है. सपन कुमार ने गांव को ही क्लासरूम बना दिया और घर के दीवारों को ब्लैकबोर्ड. सपन के इस कार्य की CM हेमंत सोरेन से लेकर PM मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में सराहना भी की है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 10, 2021 9:30 PM

Jharkhand News (सुनील कुमार झा, रांची) : कोरोना काल में स्कूल बंद होने स्कूली बच्चे पढ़ाई से वंचित ना हो, इसके लिए दुमका के जरमुंडी ब्लॉक के टीचर सपन कुमार ने एक नया रास्ता अपनाया. आदिवासी बहुल इलाकों के बच्चों को पढ़ाई में परेशानी ना हो, इसके लिए गांव को क्लासरूम और घर की दीवारों को ब्लैकबोर्ड बनाकर बच्चों को पढ़ाने लगे. सपन के इस जज्बे की हर ओर तारीफ हुई. CM हेमंत सोरेन सहित PM मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सपन के इस कार्य की सराहना की.

कोविड काल में बच्चों को पढ़ाने के इस मॉडल को अब विदेशों में भी सराहा जा रहा है. सोशल मीडिया के साथ टीवी चैनल पर भी इसका प्रसारण हुआ है. चीन के टीवी चैनल सीसीटीवी 17 ने इसका प्रसारण किया. जिसमें यह कहा गया है कि कोविड 19 के संक्रमण काल में जब स्कूल बंद हैं, तो ऐसे में कैसे भारत के झारखंड राज्य के एक शिक्षक ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर नया तरीका अपनाया.

ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों की पढ़ाई के लिए यह बेहतर तरीका है. चैनल ने शिक्षक और बच्चों का वीडियो फुटेज भी प्रसारित किया है. बच्चों ने बताया है कि पढ़ाई के इस माध्यम से उन्हें कैसे पढ़ाई में सुविधा हुई. चीन के साथ-साथ कनाडा और अर्जेंटीना जैसे देशों में भी इसकी चर्चा है.

क्या है टीचिंग मॉडल

सपन कुमार उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर के शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष मार्च में विद्यालय बंद होने के बाद बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी. इसके बाद वह इस पर विचार करने लगे कि कैसे कोविड से बचाव के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए बच्चों को पढ़ाया जाये. इसके लिए उन्होंने ग्रामीणों से भी बात की.

गांव में एक घर की दीवार पर साेशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करते हुए बच्चों के लिए अलग-अलग ब्लैक बोर्ड बना दिया. एक प्वाइंट पर लगभग 50 बच्चों के बैठने की व्यवस्था की गयी. सभी बच्चों तक उनकी आवाज पहुंच सके, इसके लिए छोटे लाउडस्पीकर की मदद ली. ब्लैक बोर्ड पुआल की राख, गोबर और मिट्टी से बनाया. आज चार जगहों पर यह प्वाइंट संचालित है. सपन कुमार की नियुक्ति वर्ष 2015 में हुई है. पिछले पांच वर्ष में उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय के विकास के लिए काफी काम किया है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर आज सरकार की रैकिंग में फोर स्टार विद्यालय है.

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कर चुके हैं तारीफ:

लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई को लेकर सपन कुमार द्वारा किये गये प्रयास की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक कर चुके हैं. प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में सपन पत्रलेख के पढ़ाई के मॉडल की तारीफ की थी. उनका नाम इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए भी भेजा गया था. शिक्षक दिवस पर राज्य सरकार द्वारा राज्यस्तरीय शिक्षक पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया जायेगा.

राज्य के सात शिक्षक आज होंगे सम्मानित: शिक्षक दिवस पर रविवार को राज्य के एक शिक्षक को राष्ट्रीय और छह को राज्यस्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. राज्यस्तरीय पुरस्कार में माध्यमिक शिक्षकों को 25 हजार व प्राथमिक शिक्षकों को 20 हजार नकद पुरस्कार, शाल एवं प्रमाण पत्र दिया जायेगा. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार वितरण कार्यक्रम इस वर्ष भी कोविड के कारण ऑनलाइन होगा. राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार वितरण समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शिक्षकों को संबोधित करेंगे. राष्ट्रीय शिक्षक समारोह का प्रसारण नेपाल हाउस स्थित योजना भवन में होगा. इसमें झारखंड से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेता शिक्षक मनोज सिंह शामिल होंगे.

इसके बाद श्री सिंह झारखंड एकेडमिक काउंसिल सभागार में होनेवाले राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में भी शामिल होंगे. वहां उन्हें पुरस्कार दिया जायेगा. केंद्र द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए प्रमाण पत्र व मेडल स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेज दिया गया है. राज्यस्तरीय सम्मान समारोह झारखंड एकेडमिक काउंसिल सभागार में 10 बजे से होगा.जिलास्तर पर भी सम्मान समारोह का आयोजन किया जायेगा, जहां जिला स्तर पर चयनित शिक्षकों को सम्मानित किया जायेगा.

मनोज सिंह, पूर्वी सिंहभूम

डॉ रानी झा, साहिबगंज

सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता, रामगढ़

डॉ सपन कुमार, दुमका

रूबी बानो, लातेहार

सिंपल शर्मा, पूर्वी सिंहभूम

मोयलेन जीदन बहा आइंद, खूंटी

Posted by: Pritish Sahay

Next Article

Exit mobile version