रांची: लातेहार में गहराती भूमि समस्याओं, अनेक रैयतों द्वारा अपनी ज़मीन के लूटे जाने, दस्तावेजों में हेरफेर कर अवैध खरीद-बिक्री का आरोप लगाते हुए लातेहार से आए रैयतों और ज़मीन के मूल खतियानधारियों के 20 सदस्यीय दल ने पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के नेतृत्व में राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव अमिताभ कौशल से मुलाक़ात की और अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौपा.
राजस्व सचिव ने दिया ये भरोसा
पूर्व मंत्री व झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के अनुसार सचिव अमिताभ कौशल ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि लातेहार में जमीन समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जायेगा और इसके सन्दर्भ में उन्हें विभागीय मंत्री और प्रदेश के मुख्य सचिव ने भी निर्देशित किया है. बंधु तिर्की ने कहा कि 25 अक्टूबर 2019 को मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार लातेहार जिले के सात अंचलों, बालूमाथ, बरवाडीह, महुआटांड, चंदवा, मनिका, गारु एवं लातेहार राजस्व ग्रामों की स्थानीय सीमा के भीतर पड़नेवाले समस्त जमीन का पुनः व्यावहारिक स्तर पर भू सर्वेक्षण होना था, लेकिन अबतक उसका अनुपालन न होने से अनेक गंभीर समस्याए खड़ी हो गयी हैं. उन्होंने कहा कि इसके तहत प्रत्येक भूमि-धारी या दखलकार का नाम, प्रत्येक सभी काश्तकार का वर्ग निर्धारण, मुण्डारी, खुंटकट्टीदार, कायमी रैयत, दखलकार रैयत, गैर दखलकार रैयत, खुंटकट्टी हक़ प्राप्त रैयत, दर रैयत की एक या अधिक सीमा वाले प्रत्येक रैयत और दखलकार की परिस्थिति, सीमा आदि दर्ज़ करने के साथ ही अन्य अनेक निर्देश दिए गए थे.
कोई भू-सर्वेक्षण नहीं किया गया
बंधु तिर्की ने कहा कि अनेक दृष्टिकोण से विस्तृत भू-सर्वेक्षण एवं वर्गीकरण किया जाना बहुत जरूरी था, परंतु वास्तविकता यह है कि लातेहार जिले के सभी सात अंचलों में किसी भी प्रकार का कोई भू-सर्वेक्षण नहीं किया गया, जिसके कारण ज़मीनी स्तर पर अनेक विसंगतियों के कायम रहने से अनेक परिवारों एवं समाज में भी तनाव बढ़ रहा है. वहीं दूसरी ओर, अनेक अवांछित तत्व कुछेक सम्बंधित सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से अपनी मनमानी कर रहे हैं जिसका परिणाम सभी को भुगतना पड़ रहा है.
रैयतों की ये हैं मांगें
रैयतों की अन्य मांगों में लातेहार में किश्तवार, खानापुरी, ड्राफ्ट प्रकाशन, बन्डा परचा, के प्रकाशन की प्रक्रिया सही तरीके से पूरी करने, जिस रैयत के नाम से जमीन है उसके नाम से खतियान ना बनाकर किसी दूसरे के नाम से बना दिये जाने की जांच करवाने, तालाब, नाला, रास्ता जैसी सर्वसाधारण भूमि को किसी रैयत के नाम पर दर्ज़ कर रैयती कायम करने की जांच और उसे रद्द करने, जमीन नीलामी, केवाला, बंदोबस्ती से ज़मीन प्राप्त करनेवाले रैयत का नाम खतियान में कायम करने के साथ ही खतियानी रैयत की गलत जाति का अंकन, खतियान में हिस्सेदार का नाम दर्ज नहीं होने, आदिवासियों के धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूमि सरना, जाहेर थान, देशावली, देवस्थान, मसना, हड़गड़ी, डालीकतारी, भुतखेता, पहनई, मततोई, पइनभोरा, कोटवारी नौकराना, जतरा स्थल, आखड़ा, धूमकुडिया, बकास्त, मुंडा आदि को किसी रैयत के नाम पर दर्ज करने और उस जमीन की अवैध खरीद-बिक्री की आशंका, स्व अर्जित संपत्ति में भी हिस्सेदार का नाम जोड़े जाने, सर्वे खतियान और नक्शा में एक ही रैयत का अलग-अलग रकबा दर्ज़ होने, खतियान में एक खाता में ही अनुसूचित जाति एवं अन्य जाति का नाम दर्ज़ होने, किसी एक ही भूमि का सीएस और आरएस खतियान में ज़मीन के गैरमजरुआ दर्ज़ होने पर सीएनटी की धारा 87 के तहत उसी ज़मीन को रैयती मान्यता देने जैसे अनेक आरोप लगाते हुए उसके निराकरण की मांग की गयी है.
राजस्व सचिव को इन्होंने सौंपा ज्ञापन
बंधु तिर्की के नेतृत्व में विभागीय सचिव से मिले प्रतिनिधिमंडल ने उनसे आग्रह किया कि परिस्थितियों की गंभीरता के मद्देनज़र अविलम्ब सकारात्मक निर्णय लें क्योंकि इसके कारण रैयतों को खामियाजा उठाना पड़ रहा है और वाद-विवाद, सामाजिक तनाव का खतरा बरकरार है. राजस्व सचिव से मिलनेवाले प्रतिनिधिमंडल में जीतू उरांव, प्रभात उरांव, आशीष उरांव, रामप्यार उरांव, चन्द्रदेव उरांव, मो. मोजीबुल्लाह, तुलेश्वर उरांव, अमित उरांव, सुनीता उरांव, रामलाल उरांव, नरेश उरांव, सहादेव उरांव, रामा उरांव, जयराम उरांव, संदीप उरांव, सत्यजीत देवधारिया आदि शामिल थे.