रांची. झामुमो में बागियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, सीता सोरेन, चमरा लिंडा, लोबिन की घोषणा के बाद अब चौथे बागी के रूप में बसंत कुमार लोंगा सामने आये हैं. जो इंडिया गठबंधन को ताक पर रख कर निर्दलीय ही खूंटी लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. वह नामांकन कर चुके हैं. नाम वापसी की तिथि समाप्त हो जाने के बाद भी नाम वापस नहीं लिया. अब वह खूंटी में अलग ताल ठोक रहे हैं. इंडिया गठबंधन के तहत यह खूंटी लोकसभा कांग्रेस के हिस्से में हैं. कांग्रेस ने यहां से कालीचरण मुंडा को उम्मीदवार बनाया है. कालीचरण मुंडा के नामांकन स्वयं मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भी शामिल हुए थे. अब गठबंधन को दरकिनार कर बसंत कुमार लोंगा वहां से निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं. पूर्व में सीता सोरेन झामुमो छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गयी और दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. लोहरदगा से चमरा लिंडा बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. राजमहल लोकसभा सीट से पार्टी के विधायक लोबिन हेंब्रम अपनी ही पार्टी के सांसद विजय हांसदा के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. सात मई को वह नामांकन करेंगे. इन चारों ने झामुमो का टेंशन बढ़ा दिया है. पार्टी के स्तर से लोबिन, चमरा व बसंत लोंगा से बात करने का प्रयास जारी है.
पूर्व विधायक व केंद्रीय समिति के सदस्य हैं लोंगाबसंत कुमार लोंगा वर्ष 1995 से 2000 तक कोलेबिरा से झामुमो के विधायक रह चुके हैं. सबसे कम उम्र में विधायक बनने पर वह चर्चा में आ गये थे. वर्तमान में श्री लोंगा झामुमो केंद्रीय समिति के सदस्य हैं. इतना ही नहीं वर्ष 2002 से लेकर 2014 तक सबसे लंबे समय तक वह सिमडेगा झामुूमो जिला समिति के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं. वर्ष 2014 में वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. पर पार्टी ने टिकट नहीं दिया और गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में यह सीट चली गयी. तब श्री लोंगा जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़े. हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली. चार महीने बाद वह पुन: झामुमो में शामिल हो गये. अभी झामुमो केंद्रीय समिति के सदस्य के रूप में वह लगातार सक्रिय हैं.
पार्टी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं : लोंगा
प्रभात खबर से बात करते हुए श्री लोंगा ने बताया कि जनता की कुछ समस्याएं हैं. पार्टी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ रहा हूं. पूरे दम-खम से चुनाव लड़ने की बात उन्होंने कही. उन्होंने बताया कि पार्टी के किसी पदाधिकारी ने अब तक उनसे संपर्क नहीं किया है. संपर्क करेंगे, तब भी अपने फैसले पर वह अडिग हैं और चुनाव लड़ेंगे.
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