Ranchi News : झारखंड के युवाओं में सृजन की क्षमता विकसित हो : हरिवंश
Ranchi News : जिला स्कूल मैदान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेला के तीसरे दिन रविवार को पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ी.
रांची. जिला स्कूल मैदान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेला के तीसरे दिन रविवार को पुस्तक प्रेमियों की भीड़ उमड़ी. प्रशासकों के स्टॉल पर लोगों ने साहित्यिक जुड़ाव का उदाहरण पेश किया. इस मौके पर इतिहास, महापुरुष, राजनीतिक विज्ञान, आत्मकथा, संस्मरण, कथा-कहानियां समेत बच्चों के लिए तैयार कॉमिक की खूब बिक्री हुई. सुबह 10 बजे से शुरू हुए पुस्तक मेला के तीसरे दिन 600 से अधिक लोगों ने दिनभर पुस्तकों के साथ संवाद किया. इधर दोपहर बाद मेला परिसर में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की 10 पुस्तकों की शृंखला ”समय के सवाल” का लोकार्पण और संवाद सह परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
बच्चों को पुस्तक पढ़ने का संस्कार दें
संवाद कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि झारखंड के युवाओं में सृजन की क्षमता विकसित करने की जरूरत है. इससे बेहतर कल का निर्माण संभव होगा. मौके पर वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इसके अलावा विशिष्ट अतिथि के रूप में लेखक महादेव टोप्पो, रविदत्त बाजपेयी, वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा और सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला उपस्थित रहीं. मौके पर आयोजक प्रकाशन प्रकाशक के हरिशचंद्र शर्मा ने कहा कि बच्चों को पुस्तक पढ़ने का संस्कार अभिभावक ही दे सकते हैं.
पुस्तक शृंखला समय के सवाल में जवाब भी
शामिल
परिचर्चा सत्र में पुस्तक शृंखला पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे. लेखक सह प्राध्यापक रविदत्त वाजपेयी ने कहा कि हरिवंश जी ने अपने 40 वर्ष की पत्रकारिता को इस शृंखला के जरिये मूर्त रूप दिया है. इनमें बिहार : सपना और सच, झारखंड : संपन्न धरती उदास बसंत, झारखंड : चुनौतियां भी अवसर भी, राष्ट्रीय चरित्र का आईना, पतन का होड़, भविष्य का भारत, सरोकार और संवाद, अतीत के पन्ने, ऊर्जा के उत्स और सफर के शेष पर चर्चा की गयी है. इन पुस्तकों में समय के सवाल के साथ उनके जवाब भी शामिल हैं. दयामनी बारला ने कहा कि पुस्तकों में स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों का समावेश है.
दो तरह के लेखक लिखते हैं पुस्तक
वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने हरिवंश के साथ अपने कार्यालय अनुभव का संस्मरण साझा किया. बताया कि किताबें व पुस्तक दो तरह के लेखक लिखते हैं. एक लेखक वह जो विषय के संदर्भ को जुटा कर नये सिरे से पुस्तक लिखता है और दूसरा लेखक वह है, जो अपने अनुभव से नये साहित्य का सृजन करता है. ऐसी लेखनी ही समाज परिवर्तन का काम करती है. वहीं, महादेव टोप्पो ने आदिवासी विषयों को पुस्तक शृंखला में शामिल करने पर खुशी व्यक्त की. वहीं, पद्मश्री बलबीर दत्त ने कहा कि हरिवंश की पुस्तक शृंखला आधुनिक युग की संस्करण है. इसमें 5211 पृष्ठ है, जिन्हें व्यक्ति पढ़ ले, तो भूतकाल से लेकर भविष्य काल की कल्पना कर सकता है. इस अवसर पर कवि चंदन द्विवेदी, निलोत्पल मृणाल, निराला, डॉ बीपी सहाय, डॉ जंग बहादुर पांडेय और डॉ प्रशांत गौरव समेत अन्य मौजूद थे.
उपभोक्तावादी संस्कृति से बचना जरूरी
इस मौके पर हरिवंश की पुस्तक शृंखला पर संवाद कार्यक्रम हुआ. इसमें हरिवंश के साथ प्रो विनय भरत ने बातचीत की. इस दौरान हरिवंश ने अपने गांव सिताब दियारा के पूर्व की स्थिति पर बातें की. बताया कि क्रांतिकारी जेपी नारायण का गांव होने के बाद भी वहां विकास की पटरी देर से बिछायी गयी.उन्होंने भी नीम के पेड़ के नीचे पढ़ना शुरू किया था,जबकि अपढ़ गांव के लोगों में नैतिकता भरी हुई थी और इसी सीख के साथ जीवन में आगे बढ़े.बताया कि पुस्तक शृंखला में दो प्रमुख सवाल हैं – पहला भविष्य की परिकल्पना क्यों जरूरी और आगे बढ़ने के लिए मान्यता व पूर्वाग्रह को भूल नयी चीजों को सीखना क्यों जरूरी है. इनके बिना व्यक्ति सृजनकर्ता नहीं बन सकता.
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