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आवश्यकता के अनुसार नहीं हो रहा नेत्रदान : डॉ समर

नेत्रदान महादान है, लेकिन नेत्रदान की जितनी आवश्यकता होती है, वह पूरी नहीं होती है. इसकी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है. कॉर्निया की उपलब्धता से हम लोगों के जीवन में रोशनी ला सकते हैं.

रांची. नेत्रदान महादान है, लेकिन नेत्रदान की जितनी आवश्यकता होती है, वह पूरी नहीं होती है. इसकी वजह लोगों में जागरूकता की कमी है. कॉर्निया की उपलब्धता से हम लोगों के जीवन में रोशनी ला सकते हैं. झारखंड में नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करने में कश्यप मेमोरियल आई बैंक और आई डोनेशन अवेयरनेस क्लब लगा हुआ है. ये बातें अखिल भारतीय नेत्र सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ समर बसाक ने कहीं. वह शुक्रवार को झारखंड ओफ्थाल्मोलोजीकल सोसाइटी के 21वें वार्षिक सम्मेलन के पहले दिन लाइव सर्जरी के बाद जानकारी दे रहे थे. उन्होंने कहा कि हर साल रन फॉर विजन का आयोजन कर लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूक किया जाता है. इसकी जितनी प्रशंसा की जाये, वह कम है. साइंटिफिक कमेटी की चेयरपर्सन डॉ भारती कश्यप ने बताया कि नेत्र सोसाइटी के वार्षिक कांफ्रेंस के डेफर्ड लाइव सर्जरी सत्र में माइनस पावर कम करने के ऑपरेशन से लेकर पलक, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और रेटिना की 11 तरह की नयी-नयी सर्जिकल तकनीक से अवगत कराया गया. पहले सत्र में डॉ बीपी कश्यप, डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ अरविंद मौर्या और डॉ पार्थो विश्वास ने सफेद मोतियाबिंद की सर्जरी की चुनौती पर चर्चा की. इसे कश्यप मेमोरियल आइ हॉस्पिटल के सभागार में मौजूद नेत्र चिकित्सक और विद्यार्थियों ने देखा और सवाल पूछा. इसका जवाब विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा दिया गया. लाइव सर्जरी डॉ विभूति कश्यप और डॉ निधि गड़कर कश्यप की देखरेख में हुई.

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