Loading election data...

मुखबिर ने आतंकवादी होने की गलत सूचना देकर करायी छापेमारी, हथियार भी प्लांट किये

मुखबिर ने आंतकवादी होने की गलत सूचना देकर करायी छापेमारी, हथियार भी प्लांट किये

By Prabhat Khabar News Desk | June 6, 2020 6:54 AM

रांची : आतंकवादियों को नकेल कसने के लिए बनाया गया एटीएस (एंटी टैरेरिस्ट स्कवायड) खुद मुखबिर के जाल में फंस गया. मुखबिर दिलावर ने एटीएस के एसपी शैलेंद्र वर्णवाल को सूचना दी थी कि रांची के सदर थाना क्षेत्र के रांची नर्सिंग होम के समीप प्रतिबंधित संगठन सिमी का आतंकवादी अपने लोगों के साथ मौजूद है. इस सूचना पर एटीएस की टीम गठित कर मुखबिर के साथ भेज दिया गया.

रांची नर्सिंग होम के पीछे स्थित एक घर से गुरुवार को राकेश कुमार सिंह और दूसरा आदिल अफरीदी के अलावा 10 अन्य लोगों को भी पकड़कर एटीएस अपने साथ ले गयी. दो पिस्टल और मैगजीन भी बरामद करने का दावा किया गया. जब मामले में वरीय अफसरों ने छानबीन की, तब मामला कुछ और ही निकला. एक वरीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुखबिर दिलावर ने एटीएस को सिमी के आतंकवादी के होने की सूचना दी थी. उसने ही दो पिस्टल और मैगजीन प्लांट करा कर राकेश और अफरीदी के साथ अन्य 10 लोगों को पकड़वाया था. राकेश और अफरीदी का पुराना आपराधिक इतिहास था, इसलिए इन दोनों को पकड़ कर रांची पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया.

जबकि 10 अन्य लोगों को छोड़ दिया गया. जांच में पता चला कि दिलावर के पास चार हथियार थे, जिसमें से उसने दो प्लांट किये थे. बाकी के दो हथियार दिलावर से बरामद किया जाना बाकी है. मामले में रांची की सदर पुलिस ने दिलावर को पकड़ लिया है. उससे पूछताछ की जा रही है. एटीएस ने एफआइआर के लिए दिया है आवेदन इस मामले में एटीएस की ओर से प्राथमिकी के लिए रांची की सदर थाना पुलिस को आवेदन दिया गया है. एक अधिकारी ने बताया कि राकेश और अफरीदी की गिरफ्तारी संदेहास्पद है.

इसलिए दोनों को सीआरपीसी की धारा 169 के तहत थाना से बेल दे कर मुक्त कर दिया जायेगा. जबकि, दिलावर को साजिश रचने के आरोप में जेल भेजा जायेगा. दिलावर जमीन के कारोबार से जुड़ा है. पूर्व में वह जमीन विवाद को लेकर हुई हत्या के एक मामले में जेल भी जा चुका है.एटीएस एसपी ने पुलिस मुख्यालय के निर्देशों की अवहेलना की स्टेट में एटीएस के मुख्य अफसर एडीजी अभियान होते हैं.

इनके बाद आइजी अभियान. पूर्व में ही एटीएस एसपी शैलेंद्र वर्णवाल को वरीय अधिकारियों ने निर्देश दिया था कि जब भी स्टेट में कहीं पर छापेमारी करनी हो, तो इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को पहले दी जाये. वहीं, जहां छापेमारी करनी हो, वहां की स्थानीय पुलिस को भी साथ में रखा जाये. लेकिन, इस मामले में एसपी ने वरीय अधिकारियों को विधिवत जानकारी नहीं दी और न ही छापेमारी के दौरान रांची की सदर पुलिस को ही अपने साथ रखा. संभव है आगे की पुलिस जांच में कुछ और खुलासे हों. साथ ही अफसरों की लापरवाही भी सामने आये.

Next Article

Exit mobile version