हमारे साहित्य को सामने लाने की जरूरत है : डॉ टेटे
शिक्षक और साहित्यकार प्यारा केरकेट्टा की 121 वीं जयंती पर सिमडेगा में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इ
रांची. शिक्षक और साहित्यकार प्यारा केरकेट्टा की 121 वीं जयंती पर सिमडेगा में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के दूध खड़िया, डेलकी खड़िया और सबर खड़िया समाज के शिक्षाविद, लेखक, साहित्यकार का जमावड़ा हुआ. यह आयोजन प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से किया गया था. सेमिनार का उद्घाटन करते हुए शिक्षाविद फादर डॉ निकोलस टेटे ने कहा कि हमारे साहित्य को सामने लाने की जरूरत है, क्योंकि मातृ भाषाओं में लिखित अलिखित साहित्य ही समाज को सही मार्गदर्शन दे सकते हैं. सेमिनार के विभिन्न सत्रों में खड़िया भाषा के विद्वानों फादर इग्नासियुस सोरेंग, प्रो.अजीत कुल्लू, डॉ जेरमेन कुल्लू किड़ो एवं बासिल किड़ो की अध्यक्षता में स्कॉलरों ने अपने शोध पत्र खड़िया साहित्य की विशिष्टताएं और विविध आयाम, कथा साहित्य की दशा -दिशा, खड़िया गीत परंपरा और आधुनिक कविता और खड़िया समाज, साहित्य व राजनीति विषय पर प्रस्तुत किया.
11 को मिला सम्मान : सेमिनार में 11 लोगों को प्यारा केरकेट्टा सम्मान 2024 प्रदान किया गया. सम्मान पाने वालों में मनोज कोनबेगी (खेल) इंदुरानी किड़ो, आशीषन कुल्लू (स्वास्थ्य) डॉ अनिल बीरेंद्र कुल्लू, फ्रांसिस कुल्लू (साहित्य) खुबैब शाहिद (जीवन रक्षा), विकास साहू (पत्रकारिता) खिलेश्वर सिंह (संस्कृति) अजय एक्का, बिरजिनिया बुढ (समाजसेवा) सिस्टर फुलरीदा (शिक्षा) शामिल हैं. यह जानकारी प्याार केरकेट्टा फाउंडेशन की वंदना टेटे ने दी.
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