प्लस टू स्कूलों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षक नहीं
राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालयों में बिना शिक्षक ही जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के तक सृजित नहीं है. राज्य में कुल 510 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. इनमें जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई के लिए नामांकन भी लिया जाता है, पर पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं.
राज्य के 510 प्लस टू विद्यालयों में नहीं सृजित है शिक्षकों का पद
रांची : राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालयों में बिना शिक्षक ही जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के तक सृजित नहीं है. राज्य में कुल 510 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. इनमें जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई के लिए नामांकन भी लिया जाता है, पर पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं.
राज्य में 59 प्लस-टू स्कूल एकीकृत बिहार के समय के हैं, जबकि 451 विद्यालय राज्य गठन के बाद प्लस-टू में अपग्रेड किये गये हैं. स्कूलों में हो, मुंडारी, संताली, उरांव, पंचपरगनिया, नागपुरी, कुरमाली व खोरठा की पढ़ाई होती है़. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के अलावा राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, मानव शास्त्र जैसे विषयों के शिक्षक प्लस टू विद्यालयों में नहीं है.
11 विषय के शिक्षकों के सृजित हैं पदप्लस-टू उच्च वद्यिालय में 11 विषय के शक्षिकों के पद सृजित किये गये हैं, जबकि इंटर स्तर पर 26 विषयों की पढ़ाई होती है. राज्य में काफी दिनों से प्लस टू विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विषय में शिक्षकों के पद सृजित किये जाने की मांग की जा रही है. इसके लिए वर्ष 2013-14 में शिक्षा विभाग द्वारा प्रक्रिया भी शुरू की गयी थी.