पिपरवार
दामोदर नद व जंगलों से आच्छादित सुंदर वादियों में पिपरवार व केरेडारी थाना क्षेत्र का सीमांत गांव किरिगड़ा में अब तक पक्की सड़क नहीं बनी है. देश की आजादी के 76 साल बाद भी ग्रामीणों को पक्की सड़क नसीब नहीं हुई है. ग्रामीण आज भी कच्चे रास्ते में चलने को विवश हैं. उन्हें बरसात के दिनों में उक्त रास्ते से आवागमन करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वाहनों का आवागमन तो दूर, ग्रामीणों को कीचड़ भरे रास्ते में पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. किरिगड़ा बुंडू पंचायत का राजस्व गांव है.
किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं ली सुध
गांव में लगभग 800 मतदाता प्रत्येक चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनते हैं. मुखिया, विधायक व सांसद किसी ने भी आज तक गांव की सुध नहीं ली. सिर्फ वोट मांगने गांव में आते हैं. वहीं, प्रखंड कार्यालय केरेडारी से लगभग 35 किमी दूर अवस्थित होने की वजह से अधिकारियों का ध्यान इस गांव पर नहीं जाता है. भले ही यह गांव केरेडारी प्रखंड का हिस्सा है. लेकिन काफी संख्या में ग्रामीण सीसीएलकर्मी हैं, जो पिपरवार क्षेत्र के विभिन्न परियोजनाओं में काम करते हैं. किरिगड़ा पांच किमी के प्रभावित क्षेत्र में आता है. बावजूद इसके सीसीएल के द्वारा भी सीएसआर फंड से सड़क का निर्माण नहीं कराया गया. ग्रामीण काशीनाथ महतो बताते हैं कि नेता हमेशा ग्रामीणों को झूठा आश्वासन देकर जात-पात के नाम पर वोट मांगते हैं. पर, जब बात गांव के विकास करने की आती है, उन्हें फुर्सत नहीं मिलता है.