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राजधानी के 27104 भवनों में नहीं है रेन वाटर हार्वेस्टिंग

इन भवनों के मालिक जुर्माना के रूप में डेढ़ गुना होल्डिंग टैक्स दे रहे हैं. 3000 वर्गफीट या उससे अधिक क्षेत्र में किये गये निर्माण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है.

रांची. राजधानी के 27104 भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है. इन भवनों के मालिक जुर्माना के रूप में डेढ़ गुना होल्डिंग टैक्स दे रहे हैं, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं करा रहे हैं. नियमानुसार, 3000 वर्गफीट या उससे अधिक क्षेत्र में किये गये निर्माण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है. इस सीमा में रांची नगर निगम क्षेत्र में 79772 निर्माण किये गये हैं. इनमें से 52668 (66.02 प्रतिशत) भवनों का निर्माण कार्य रेन वाटर हार्वेस्टिंग के साथ किया गया है. वहीं, शेष 33.98 प्रतिशत (27104) भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है.

नगर निगम को भवनों का सर्वे कराने का निर्देश

नगर विकास विभाग ने रांची नगर निगम को रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं कराने वाले 27104 भवनों का सर्वे कराने का निर्देश दिया है. अभियान चला कर उन भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सुनिश्चित कराने को कहा गया है. विभाग ने कहा है कि जल संकट से बचने के लिए वर्षा जल का संचयन और संरक्षण जरूरी है. सतही जल उपलब्ध नहीं होने के कारण भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. यह अलार्मिंग स्थिति है. जल संरक्षण को लेकर राज्य सरकार गंभीर भी है. जल संरक्षण के लिए रांची नगर निगम को आवश्यक उपाय करते हुए जन जागरूकता अभियान शुरू करने को कहा गया है.

चलाया जायेगा प्रचार अभियान, बांटे जायेंगे पंपलेट

लोगों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरूक करने के लिए नगर निगम प्रचार अभियान चलायेगा. लोगों को सूचना देने, शिक्षित करने और संचार की गतिविधियां भी शुरू की जायेंगी. शहरी क्षेत्र में 15,000 पंपलेट का वितरण करने और 30 से ज्यादा जगहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का महत्व बताते हुए होर्डिंग भी लगाये जायेंगे. इसके अलावा गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से घर-घर जाकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का लाभ भी बताया जायेगा.

40 हजार रुपये आता है खर्च

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए आधारभूत संरचना के निर्माण पर लगभग 40 हजार रुपये का खर्च आता है. रांची नगर निगम ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम करने वाली तीन एजेंसियों को संरचना का निर्माण करने के लिए अधिसूचित किया है. मालूम हो कि भूगर्भ जल के लगातार दोहन से बोरिंग फेल हो रही है. कुएं सूख रहे हैं. वहीं, पौधरोपण नहीं होने से वर्षा कम हो रही है. नदी, नहर, तालाब, आहर, पोखर आदि बंजर भूमि में तब्दील हो रहे हैं. ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर भूगर्भ जल को आसानी से रिचार्ज किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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