सोन नदी के बीच टीले पर झारखंड के 32 व बिहार के आठ ग्रामीण फंसे हुए थे रिहंद डैम का पानी छोड़ने पर रविवार की रात सोन नदी में आयी थी बाढ़ हरिहरपुर (गढ़वा). झारखंड की सीमा पर अवस्थित सोन नदी में आयी बाढ़ में फंसे 40 ग्रामीणों व उनके मवेशियों को एनडीआरएफ की टीम ने सोमवार की सुबह रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला. ये सभी ग्रामीण सोन नदी के बीच में अवस्थित टीला पर फंसे हुए थे. इसमें 32 गढ़वा जिले के केतार प्रखंड के लोहरगड़ा के और आठ बिहार के रोहतास जिला के नावाडीह गांव के रहनेवाले हैं. ये सभी ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ सोन नदी के बीच में बने टीले पर रह रहे थे. रविवार को यूपी के रिहंद डैम में अधिक पानी होने के बाद उसका गेट से पानी छोड़ा गया था. इससे रविवार रात नौ बजे के करीब सोन नदी में अचानक बाढ़ आ गयी. इस कारण वे लोग बाढ़ में घिर गये. वे सभी किसी तरह नदी के बीच बने एक मकान की छत पर चढ़कर शरण लिए हुए थे. उनके साथ उनके करीब 100 की संख्या में मवेशी भी थे. ग्रामीणों ने इसकी सूचना हरिहरपुर ओपी पुलिस को दी. हरिहरपुर ओपी से खबर मिलने के बाद गढ़वा जिला प्रशासन की ओर से एनडीआरएफ की टीम बुलायी गयी. एनडीआरएफ की टीम ने यहां पहुंचकर सभी ग्रामीणों को उनके मवेशियों के साथ बिहार की सीमा की ओर बाहर निकाला. सुबह में तीन घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन सोन की बाढ़ में फंसे लोगों की जानकारी मिलने के बाद झारखंड व बिहार दोनों राज्यों का प्रशासन रात से ही सक्रिय हो गया. एनडीआरएफ की टीम ने सुबह छह बजे से नौ बजे तक रेस्क्यू अभियान चला लोगों को बाहर निकाला. बिहार के तरफ से ग्रामीणों को निकालने में थाना प्रभारी डीएल रंजन व एसडीपीओ वंदना कुमारी भी रेस्क्यू में शामिल थीं. जो ग्रामीण फंसे हुए थे बाढ़ में फंसे हुए लोगों में लोहरगड़ा के प्रवेश चौधरी, प्रभा देवी, शांति देवी, अलियार चौधरी, लखन चौधरी, लालू चौधरी, दीन चौधरी, श्रद्धा देवी, कन्हैया चौधरी, सुरेश चौधरी, कमलेश चौधरी सहित अन्य 32 लोग थे. वहीं बिहार के रोहतास जिला के नावाडीह गांव के आठ लोग थे. 2016 में भी बाढ़ में फंसे थे लोग 13 अगस्त 2016 को लोहरगड़ा के 11 ग्रामीण इसी टापू पर फंसे थे. उन्हें स्थानीय नाविकों ने करीब 20 घंटे की मशक्कत के बाद बाहर निकाला था. झारखंड व बिहार की सीमा को बांटनेवाली सोन नदी के विशाल पाट में कई जगह बड़े क्षेत्रफल में टीले व ढाब बने हुए हैं. इस टीले पर कच्चा मकान बनाकर 10-14 परिवार अपने मवेशियों के साथ रहते हैं.
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