SLBC News : यूनियन बैंक का जोनल ऑफिस हटाने के प्रयास पर झारखंड का विरोध

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का जोनल ऑफिस बिहार लेकर जाने के मुद्दे पर झारखंड सरकार ने कड़ा विरोध जताया है. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने एसएलबीसी और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए इसे झारखंड की जनता की वित्तीय सुविधा में कटौती करने जैसा बताया.

By Prabhat Khabar News Desk | January 19, 2025 12:25 AM

रांची. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का जोनल ऑफिस बिहार लेकर जाने के मुद्दे पर झारखंड सरकार ने कड़ा विरोध जताया है. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने एसएलबीसी और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को उठाते हुए इसे झारखंड की जनता की वित्तीय सुविधा में कटौती करने जैसा बताया. श्री किशोर शनिवार को होटल बीएनआर में आयोजित राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की 89वीं त्रैमासिक बैठक को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित कर रहे थे.

बिहार से कम आबादी झारखंड की, लेकिन डिपॉजिट ज्यादा

बैठक में वित्त मंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा : झारखंड में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की 120 शाखाओं में यहां के करीब 3.5 करोड़ लोगों का कुल 13,555 करोड़ डिपोजिट है, जबकि 13.50 करोड़ की आबादी वाले बिहार में 236 शाखाओं में वहां की जनता का कुल डिपोजिट 15,743 करोड़ के करीब है. कम आबादी और कम शाखाएं होने के बावजूद झारखंड के लोगों ने बैंक को ज्यादा डिपॉजिट दिया है, लेकिन अधिकारियों के पास कोई इसका कोई उत्तर नहीं है.

केंद्र सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए

वित्त मंत्री श्री किशोर ने कहा : साल 2017 से कार्यरत यूनियन बैंक का जोनल कार्यालय झारखंड की 3.50 करोड़ जनता की भावनाओं से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है, लिहाजा केंद्र सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. जिस समय वह इन बातों को सभा के पटल पर रख रहे थे, उस वक्त भारत सरकार से झारखंड पहुंचे सेंट्रल फाइनेंस मिनिस्ट्री के वित्तीय सेवा विभाग के निदेशक अंजनी कुमार ठाकुर, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन प्रसाद सिंह, राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति के महाप्रबंधक मनोज कुमार मौजूद थे. बैठक में बैंकों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट कानून के कारण लोन के लिए मॉर्गेज नहीं होने, नया ड्राफ्ट तैयार करने, सुदूरवर्ती इलाकों में इंटरनेट सेवा बढ़ाने और सुरक्षा जैसी जरूरतों पर जोर दिया, जिसके निराकरण का भरोसा दिया गया. बैठक में बैंक ऑफ इंडिया के कार्यपालक निदेशक एम कार्तिकेयन, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कृष्ण जहांगीरदार सहित सभी प्रमुख बैंकों के राज्य प्रमुख मौजूद थे.

रिकवरी एजेंट के डर से गांव छोड़ पलायन कर रहे लोग : कृषि मंत्री

झारखंड के लोगों को दी जा रही बैंकिंग सुविधाओं को लेकर राज्य की कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और सरकार के वित्त सचिव प्रशांत कुमार ने भी कुछ प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति जतायी. कृषि मंत्री ने ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रूप से गरीब किसानों के लोन डिफॉल्ट का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि रिकवरी एजेंट के डर से लोग गांव छोड़ कर पलायन कर रहे हैं. उन्होंने बैंकिंग सेक्टर से राज्य में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए सरल वित्तीय नियम बनाने, खासकर महिला किसानों के बीच ऋण प्रवाह बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के ग्राहकों से झारखंड के ग्राहकों की तुलना नहीं की जा सकती. बैंक जो भी नीतियां बनाते हैं, उसे 30% आबादी को ध्यान में रखकर बनाया जाता है. नीतियां बनाते वक्त गांव में रहनेवाली 70% आबादी को ध्यान में नहीं रखा जाता. राज्य के वित्त सचिव ने सार्वजनिक बैंकों की जटिल कागजी प्रक्रिया और एनबीएफसी के ऊंची ब्याज दरों का मामला उठाया.

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