आपका पुण्य परिंदों का नुकसान: पशु-पक्षियों को दाना या खाना खिलाने से पहले एक बार जरूर सोचे
पशु-पक्षियों को दाना या खाना देने के शौक कई लोगों को है. यह शौक या जानवरों के प्रति प्यार कहीं उनको नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है. शहरों में जिस तरह का खाना कबूतरों को दिया जा रहा है, उससे इनका प्राकृतिक गुण खत्म होता जा रहा है. भोजन के लिए निकलना और कचरा साफ करना पक्षियों के लिए एक अहम कसरत है.
Ranchi news: पशु-पक्षियों को दाना या खाना देने के शौक कई लोगों को है. यह शौक या जानवरों के प्रति प्यार कहीं उनको नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है. क्या प्रकृति के अनमोल उपहार (पशु-पक्षी) के साथ इंसान ज्यादती तो नहीं कर रहा है. प्रकृति ने जिस काम के लिए पशु-पक्षी को बनाया है, उसका नुकसान तो नहीं हो रहा है. कई लोग सड़क पर कुत्तों को बिस्किट खिलाते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि कुत्तों के लिए तेल वाला उत्पाद स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है. यह उसको नुकसान पहुंचाता है. पशुओं के खान-पान पर काम करनेवाली एजेंसी (द स्पर्स पेट) के अनुसार यह सही है कि मनुष्य जो खाता है, उसमें कई खाना पक्षियों के लिए भी बेहतर है. पक्षियों के खाने में फ्रेश फूड दिया जा सकता है. कई ऐसे खान-पान भी जो पक्षियों के लिए टॉक्सिक है. यह खाना पक्षियों को कभी नहीं देना चाहिए.
चिंता…कबूतरों का प्राकृतिक गुण खत्म होता जा रहा है
जानकार कहते हैं कि पक्षियों की संख्या नियंत्रित करने में फूड चेन की भूमिका अहम होती है़ कबूतर अपना घोंसला प्राकृतिक जगहों पर बनाते हैं. वह भी उन जगहों पर घोंसला बनाते हैं, जहां भोजन मिलने की संभावना ज्यादा होती है. वह प्राकृतिक तरीके से भोजन की व्यवस्था करते हैं. आज स्थिति बदल गयी है. खासकर शहरों में घरों की बालकनी या ऐसी ही दूसरी जगहों पर अपना घोंसला बना लेते हैं. कारण है कि यहां उन्हें हमेशा पर्याप्त भोजन मिल जाता है़ जब ये कबूतर प्राकृतिक जगहों पर रहते हैं, तो मांसभक्षी पक्षी इन्हें खा जाते हैं और इस तरह इनकी संख्या नियंत्रण में रहती है. लेकिन शहरों में कबूतरों की संख्या पर नियंत्रण रखना आसान नहीं हो पाता. विशेषज्ञ कहते हैं कि शहरों में जिस तरह का खाना कबूतरों को दिया जा रहा है, उससे इनका प्राकृतिक गुण खत्म होता जा रहा है. भोजन के लिए निकलना और कचरा साफ करना पक्षियों के लिए एक अहम कसरत है. लेकिन लोगों के उपकारी रवैये के कारण पक्षियों में पौष्टिक चीजों की कमी हो सकती है.
यह भी है खतरा
कबूतर छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों पर जिंदा रहने वाला पक्षी है. एक कबूतर को आप अच्छी तरह से दाना खिलाते हैं, वह सालभर में करीब 12 किलो बीट कर देता है. कबूतरों की बीट जब सूख जाती है, तो इसमें कुछ परजीवी पैदा होते हैं. ये परजीवी हवा में इंफेक्शन फैलाते हैं.
सेंट्रल जू अथॉरिटी ने तय कर रखा है पशु-पक्षियों का भोजन
सेंट्रल जू अथॉरिटी (सीजेडए) ने तय किया है कि किस जानवर के लिए क्या खाना अच्छा रहेगा. अगल-अलग जू के लिए अलग-अलग खान-पान की सूची है. यह इलाकों के आधार पर निर्भर है. रांची स्थित जू में रहने वाले जानवरों के खान-पान की भी अलग सूची है. मांसाहारी और शाकाहारी पशुओं के लिए भी अलग-अलग सूची है.
ये चीजें पक्षियों को नहीं दें
पक्षियों के लिए कच्चा भोजन ज्यादा फायदेमंद होता है. इससे पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल्स मिल जाते हैं. वहीं, ऑवाकाडो, चॉकलेट, लहसुन, प्याज, वनस्पति तेल, किसी भी फल का बीज, ज्यादा नमक वाला खाना, प्रोसेस्ड फूड जैसी चीजें पक्षियों को नहीं दें.
पशुओं पर निर्भर करता है उनका खान-पान
रिसर्च गेट डॉट नेट के फीडिंग बर्ड इन आवर टाउन एंड सिटीज विषय पर किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि सभी पशु-पक्षी के खान-पान की आदत अलग-अलग होती है. शहरी इलाकों में रहनेवाले पक्षियों के खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कई बार शहर और आसपास में रहनेवाले पक्षियों के खान-पान अव्यावहारिक होने से उनकी प्रजनन क्षमता को भी नुकसान होता है. इसके लिए समुदाय में जागरूकता की जरूरत है. शहर और आसपास के पक्षियों को खाने में क्या मिले, इसको लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है.
बिरसा जैविक उद्यान में खान-पान की सूची
-
कोयल : पका केला, चना सत्तू, पपीता, कच्चा चावल
-
गौरेया : अनाज, फोल्ट्री फीड, चावल, पालक साग
-
मैना : पका केला, पपीता, चना सत्तू
-
लव बर्ड : पालक व साग
-
उल्लू : चिकन, मीट
-
तोता : ताजा फल
-
बाया : चावल, दाल, पालक