तीसरा झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल की जानकारी देते हुए साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड (Science for Society, Jharkhand) के महासचिव डीएनएस आनंद ने कहा कि 14 अक्टूबर को बोकारो में इस साइंस फिल्म फेस्टिवल का आगाज होगा. बोकारो यूनिट एवं एजुकेशन डिपार्टमेंट, सेल और बोकारो स्टील प्लांट के सहयोग से इस फेस्टिवल में दो दिनों में 15 से अधिक फिल्में दिखाई जाएगी. इसमें डाक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म, एनीमेशन शामिल है. इस दौरान झारखंड के अलावा बंगाल, केरल, उत्तर पूर्वी भारत, तमिलनाडु, राजस्थान, तेलंगाना, लद्दाख आदि राज्यों की फिल्में दिखाई जाएगी.
– फेस्टिवल की शुरुआत आकाश राजपूत की फिल्म ‘My Life as a Snail’ के साथ होगी. यह फिल्म एक घोंघे के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. यह फिल्म देश के कई विज्ञान महोत्सव में अवार्ड जीत चुकी है.
– दुनियाभर में कई पुरस्कार जीत चुकी फिल्म ‘Green’ का प्रदर्शन भी होगा. पैट्रिक रौक्सेल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘ग्रीन’ नामक गोरिल्ला के अंतिम दिनों की एक भावनात्मक यात्रा प्रस्तुत करती है. यह इंडोनेशिया में ताड़ के तेल, कागज उद्योग के लिए जंगलों में पेड़ों की कटाई और भूमि समाशोधन से होने वाले विनाशकारी प्रभावों को दिखाती है.
– झारखंड के युवा फिल्मकार आकिब कलाम द्वारा निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘Decay’ का भी प्रदर्शन होगा. इस साल अगस्त में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में इसका चयन हुआ था. यह फिल्म मानव द्वारा कीमती प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की समस्या के तरफ ध्यान केंद्रित करती है. फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान आकिब मौजूद रहेंगे .
– कोटा के कोचिंग सेंटर्स में छात्रों पर अस्वस्थ तनाव को उजागर करती फिल्म ‘An Engineered Dream’ का भी प्रदर्शन होगा. इस फिल्म में भारत के विभिन्न कोनों से कोटा में कोचिंग ले रहे चार किशोरों के जीवन का वर्णन है. हेमंत बावा द्वारा निर्देशित फिल्म ने 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (2019) में सर्वश्रेष्ठ गैर फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता था.
– पद्मश्री सिमोन उरांव के पर्यावरण और जल संरक्षण पर आधारित फिल्म ‘झरिया’ की स्क्रीनिंग होगी. झरिया फिल्म तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके बीजू टोप्पो द्वारा निर्देशित की गई है.
– फिल्म ‘Coral Woman’ मन्नार की खाड़ी में मानव गतिविधियों द्वारा प्रवाल (Corals) के लिए बढ़ते खतरे को संजीदगी से पेश करती है. इस फिल्म में उमा की यात्रा को बताया गया है. इसके तहत एक प्रमाणित स्कूबा गोताखोर, पानी के नीचे की दुनिया की खोज में रूचि रखती एक पारंपरिक परिवार में जन्मी, कोरल की सुंदरता से प्रेरित होकर उमा ने 50 के दशक में तैरना, गोता लगाना और पेंट करना सीखा और तब से वह अपने चित्रों के माध्यम से इस खतरनाक पर्यावरणीय संकट पर ध्यान देने की कोशिश कर रही है.
– हजारीबाग के रहने वाले युवा फिल्मकार अनिरुद्ध उपाध्याय की शॉर्ट फिल्म ‘कमीज’ की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे रूढ़िवादी समाज द्वारा उसकी शक्ल और पहनावे के आधार पर आंका जाता है. अनिरुद्ध अपने टीम के साथ उपस्थित रहेंगे और दर्शकों के साथ संवाद करेंगे.
– फिल्म ‘Damodar’s sorrow’ का भी प्रदर्शन होगा. वर्षों से झारखंड में बहने वाला दामोदर नद प्रदूषण, औद्योगीकरण, खनन के कारण प्रभावित हुई है जिसका खामियाजा यहां कि आदिवासी और स्थानीय आबादी को भुगतना पड़ा है. इस फिल्म का निर्देशन रंजीत उरांव ने किया है.
– गणित का प्रारंभिक इतिहास, कई खोज या विकास जैसे कि शून्य और पाइथागोरस प्रमेय के बारे में बताती फिल्म ‘The Ganita Story’ का भी प्रदर्शन होगा.
साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड के महासचिव श्री आनंद ने कहा कि गिरिडीह में साइंस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 17 एवं 18 अक्टूबर को जेसी बोस गर्ल्स हाई स्कूल में होगा. गिरिडीह के महत्व का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि यह कभी देश के महान वैज्ञानिक डॉ जेसी बोस का गृहनगर रहा है. उनके घर का हिस्सा विरासत के रूप में गिरिडीह में अब भी मौजूद है.
इस साल पहले झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर कर चुकी रूपेश साहू द्वारा निर्देशित फिल्म ‘Rat Trap’ कोयला खनिकों के उनके दैनिक जीवन को बयां करती है कि किस तरह से आजीविका कमाने के लिए वे अपनी जान जोखिम में डालते हैं. वे कई दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं, जिसकी सूचना बाहरी दुनिया तक पहुंच नहीं पाती. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे अपने ही घर में चोर कहलाते हैं.
– झारखंड के फिल्मकार श्रीप्रकाश की फिल्म ‘The Fire Within’ झारखंड के कोयला खनन क्षेत्र की दर्दनाक तस्वीर खींचती है. जिसमें भ्रष्टाचार, माफिया की ताकत से विस्थापन का दंश झेल रहे आदिवासी समुदाय की अस्मिता भी अब खतरे में है.
– माहीन मिर्जा की फिल्म ‘अगर वह देश बनाती’ में छत्तीसगढ़ के गांवों की ग्रामीण, आदिवासी, कामकाजी महिलाओं द्वारा विकास के भव्य मॉडल की आलोचना करती है और न्यायपूर्ण और न्यायसंगत व्यवस्था की परिकल्पना करती है.
– झारखंड के डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार दीपक बाड़ा की 48 मिनट की फिल्म ‘द अगली साइड ऑफ ब्यूटी’ झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह जिलों में अभ्रक (Mica) के अवैध खनन पर आधारित है. इसमें इन क्षेत्रों में रह रहे वंचित समुदाय के बारे में बताया गया है, जो अपने परिवार के साथ अभ्रक खनन और ढिबरा चुनने का काम करते हैं. यह फिल्म अभ्रक खनन और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग पर आधारित है.
– अखड़ा रांची द्वारा निर्मित ‘ग्रामसभा की कहानी’ में झारखंड के विभिन्न गावों में ग्रामसभा से हो रहे बदलाव को दिखाती है कि किस तरह सशक्त ग्रामसभा के माध्यम से ग्रामीण अपने जल, जंगल और जमीन की रक्षा कर पा रहे हैं .
गिरिडीह में कई शॉर्ट फिल्मों का प्रदर्शन होगा जो बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है. इसमें देश-दुनिया में अवार्ड जीत चुकी झारखंड के युवा फिल्मकार की फिल्म ‘पहाड़ा’ का प्रदर्शन होगा. फिल्म ‘पहाड़ा’ आठ साल के बच्चे मुन्नू के इर्द-गिर्द घूमती है जो काफी लंबे समय से 13 की तालिका सीखने के लिए संघर्ष कर रहा है.
– ओडिशा स्थित बालासोर के रहने वाले श्यामा सुंदर मांझी की संताली फिल्म ‘फिल्म की कहानी’ मीरू नाम की एक बच्ची पर आधारित है जो ग्रामीण भारत के एक स्वदेशी समुदाय के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है.
– झारखंड के युवा फिल्ममेकर अर्श इफ्तिखार की पहली फिल्म ‘Scholarship’ का प्रीमियर गिरिडीह में होगा. यह झारखंड के सुदूर इलाके में स्थापित एक लघु फिल्म है. नायिका प्रिया एक गरीब पृष्ठभूमि से आती है और उसे अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए कठिनाइयों से घिरी एक लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. देर से आने पर उसे उसके दोस्त भी चिढ़ाते हैं. अपने सहपाठियों को साइकिल पर यात्रा करते हुए देखकर वह अपने लिए एक साइकिल चाहती है. वह सोचती है कि उसका इंतजार खत्म हो गया है जब शिक्षक द्वारा छात्रवृत्ति की घोषणा की जाती है, लेकिन प्रिया के लिए सबसे बड़ा द्वंद तब आता है जब उसे निर्णय लेना पड़ता है कि छात्रवृत्ति के पैसे से वह साइकिल खरीदे या बीमार भाई का इलाज करवाए.
साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड के महासचिव श्री आनंद ने कहा कि साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड एवं वैज्ञानिक चेतना साइंस वेब पोर्टल विज्ञान एवं जन आधारित फिल्मों को समाज में वैज्ञानिक जागरूकता के लिए जन अभियान का रूप देने के लिए प्रयासरत है. इस फेस्टिवल के तहत दर्शकों के बीच वैज्ञानिक सोच पैदा करने, आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक सोच को आकार और विस्तार देने पर जोर देगा जो समाज के समग्र विकास के लिए बेहद जरूरी है. उन्होंने सभी से इस साइंस फेस्टिवल को सफल बनाने की अपील की है.