भारतीय ज्ञान परंपरा के तीन घटक हैं दर्शन, विद्या व ज्ञान : डॉ राजकुमार
डोरंडा कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा है कि नयी शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना है. विश्व का प्रथम नॉलेज सोसाइटी भारत था. सबसे पुराने विश्वविद्यालय भारत में ही थे.
रांची (विशेष संवाददाता). डोरंडा कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा है कि नयी शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना है. विश्व का प्रथम नॉलेज सोसाइटी भारत था. सबसे पुराने विश्वविद्यालय भारत में ही थे. लेकिन अब आवश्यकता है ज्ञान पुनर्जागरण की.भारतीय ज्ञान परंपरा के तीन घटक हैं दर्शन, विद्या तथा ज्ञान. दर्शन को समझना, विद्या अर्जित करना और ज्ञान को प्राप्त करना होता है. भारतीय ज्ञान दादी-नानी के नुस्खों में है. नुस्खों को पैकेज करने की जरूरत है. डॉ शर्मा सोमवार को रांची वीमेंस कॉलेज में आइक्वेक के तत्वावधान में नयी शिक्षा नीति 2020 तथा भारतीय ज्ञान परंपरा पर व्याख्यान दे रहे थे. डॉ शर्मा ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी कमजोरी नॉलेज मैनेजमेंट एंड मार्केटिंग की है. नयी शिक्षा नीति की व्यवस्था के संबंध में उन्होंने बताया कि इसमें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गयी है. छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं, तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में सहुलियत मिल जायेगी. यह छात्रों के हित में बड़ा फैसला है. तीन साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है और शोध में नहीं जाना है. वहीं शोध में जाने वाले छात्रों को चार साल की डिग्री करनी होगी. चार साल की डिग्री करने वाले विद्यार्थी एक साल में पीजी कर सकेंगे. नयी शिक्षा नीति के मुताबिक पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया गया है. एमफिल को खत्म किया गया है और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एक साल के बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प है. इससे पूर्व कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य डॉ सुप्रिया ने आगंतुकों का स्वागत किया. इस अवसर पर कई शिक्षिकाएं तथा छात्राएं उपस्थित थीं.
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