Ranchi news : राणा संग्राम सिंह के पुत्र की हत्या के मामले में तीन दोषी करार, फैसला 21 को

घटना के नौ साल बाद आया फैसला, नौ अक्टूबर 2015 को हुई थी घटना. 40 बीघा जमीन और कैमूर किंग बस के संचालन के विवाद के कारण यशवंत सिंह की हत्या की गयी थी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 12:27 AM
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रांची. एचइसी के श्रमिक नेता रहे राणा संग्राम सिंह ( अब स्वर्गीय) के पुत्र ठाकुर यशवंत सिंह हत्याकांड मामले में मंगलवार को अपर न्यायायुक्त योगेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने मुख्य आरोपी अमर सिंह तथा पिता वंश नारायण सिंह व पुत्र रणधीर सिंह को दोषी करार दिया है. एक आरोपी ओम प्रकाश उर्फ गुड्डू को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. दोषी करार तीनों अभियुक्तों की सजा के बिंदु पर कोर्ट 21 सितंबर को फैसला सुनायेगा. 40 बीघा जमीन और कैमूर किंग बस के संचालन के विवाद के कारण यशवंत सिंह की हत्या की गयी थी. मामला नौ अक्टूबर 2015 का है. मामले में धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.

पिता-पुत्र भेजे गये होटवार जेल

दोषी करार पिता-पुत्र जमानत पर थे. जबकि अमर सिंह घटना के बाद से ही लगातार जेल में ही है. दोषी करार दिये जाने के बाद वंश नारायण सिंह और रणधीर सिंह को न्यायिक हिरासत में लेते हुए होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया. अमर सिंह वर्तमान में रामगढ़ जेल में बंद है. फैसले के दौरान उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने 28 अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद 11 सितंबर को फैसले की तारीख निर्धारित की थी. मामले में अभियोजन की ओर से एपीपी सिद्धार्थ सिंह ने बहस की. साथ ही सूचक की ओर से अधिवक्ता रोहित रंजन प्रसाद और दीपक कुमार ने पक्ष रखा. फैसले के दौरान मृतक के परिवार के कई सदस्य कोर्ट रूम में मौजूद थे. मामले में घटना के नौ साल बाद फैसला आया है.

क्या है मामला

नौ अक्टूबर 2015 को धुर्वा थाना क्षेत्र के वीर कुंवर सिंह चौक के पास घटना को अंजाम दिया गया था. यशवंत सिंह और राणा प्रताप सिंह, दोनों भाई घर के पास मॉर्निंग वॉक कर रहे थे. उसी समय अमर सिंह अपनी गाड़ी से वहां पहुंचा था. वहां आने के बाद अमर सिंह, दोनों भाइयों द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने की बात पर बकझक करने लगा. जिसके बाद दोनों पक्ष उलझ पड़े. तभी अमर सिंह ने अपनी कार से हॉकी स्टिक निकालकर दोनों भाइयों पर हमला कर दिया. मौके पर यशवंत ने खुद की पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी. तभी अमर सिंह ने लाइसेंसी रायफल से यशवंत को गोली मार दी, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गयी थी. वहीं वंश नारायण सिंह ने भी राणा प्रताप पर गोली चला दी, जबकि रणधीर सिंह ने डंडे से राणा के सिर पर वार किया. इसमें राणा घायल हो गये थे. राणा के बयान पर ही धुर्वा थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. घटना के बाद अमर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. मामले में अमर सिंह का ड्राइवर रमेश कुमार यादव फरार है.

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