रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा ग्रामीण विकास विभाग की तीन योजनाओं के उदघाटन से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने योजनाअों के उदघाटन के मौके पर कहा कि मनरेगा के तहत तेजी से काम का सृजन कर लोगों को रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता है. किसानों को लाभ देने के लिए नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना लागू की गयी है. जो श्रमिक वापस लौट रहें हैं, उन्हें सीमित संसाधनों के बल पर सरकार रोजगार देने का प्रयास करेगी. झारखंड में जल संचय जरूरी है, ताकि बहुफसली खेती की जा सके. पौधारोपण पूर्व से ही होता रहा है लेकिन अब पौधरोपण कर लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाना है. युवाओं को खेल में अपनी क्षमता दिखाने के उद्देश्य से खेल का मैदान तैयार करने का कार्य होगा.
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा कि उक्त योजनाओं से कृषि की उत्पादक क्षमता बढ़ेगी. खेल विकास योजना राज्य की प्रतिभाओं को निखारने में सहायक होगी. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत फलदार पौधा लगाने की योजना है, इस कार्य से किसानों को लाभ तो होगा ही. साथ ही साथ पर्यावरण संरक्षण का काम भी होगा. वहीं इन योजनाओं के माध्यम से सरकार पलायन का कलंक भी धो सकेगी. कार्यक्रम में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग अविनाश कुमार, मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी तथा मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद सहित अन्य उपस्थित थे.
क्या है तीन योजनाओं की खासियत : शहीद पोटो हो खेल विकास योजना सभी पंचायतों सहित राज्यभर में पांच हजार खेल के मैदान का निर्माण होगा. खेल के मैदान में शौचालय व ड्रेस बदलने के लिए कमरे बनाये जायेंगे. युवाअों के लिए खेल सामग्री की व्यवस्था की जायेगी. प्रखंड एवं जिला स्तर पर सुसज्जित खेल प्रशिक्षण केंद्रों का संचालन होगा. खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में विशेष आरक्षण मिलेगा तथा मनरेगा के तहत एक करोड़ मानव दिवस का सृजन होगा. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना इस योजना के जरिये राज्य में वर्षा जल संरक्षित कर जल उपलब्धता बढ़ाने का लक्ष्य है. इससे दो फसलों के बजाय साल में तीन फसलों की खेती का प्रयास होगा.
इस योजना के तहत जल संरक्षण के विभिन्न संरचनाओं का निर्माण होगा. राज्य की वार्षिक जल संरक्षण क्षमता में पांच लाख करोड़ लीटर की वृद्धि का लक्ष्य है. इसके लिए टांड़ मेड़बंदी योजना व फील्ड बांड योजना है. जिसमें पांच प्रतिशत से अधिक ढाल वाली टांड़ व अन्य जमीन पर संरचना का निर्माण किया जायेगा, ताकि जल प्रवाह को रोककर भूगर्भ जल स्तर बढ़ाया जा सके. मनरेगा के तहत पांच लाख एकड़ बंजर भूमि का संवर्धन किया जाना है. लूज बोल्डर स्ट्रक्चर योजना का उपयोग नाले के ऊपरी भाग के ट्रीटमेंट में किया जायेगा. इससे तेजी से बहकर जाने वाले वर्षा जल को जगह-जगह रोक कर इसी गति कम की जा सकेगी. इससे भू-जल भरण के साथ-साथ मिट्टी का कटाव कम होता है तथा नाला लंबे समय तक जीवित रहा है.
नाले के अंदर की गाद व मिट्टी को हटाकर इसकी क्षमता में वृद्धि की जायेगी. इसके अलावा गांव में लगे सार्वजनिक हैंडपंप, कुंआ अथवा पाइप्ड वाटर सप्लाई यूनिट के पास बेकार होने वाले पानी (ग्रे वाटर) भी संरक्षित किया जायेगा. बिरसा हरित ग्राम योजना इस योजना के तहत राज्यभर में पांच करोड़ पौधों का रोपण होगा. इसके लिए पांच लाख परिवारों को सौ-सौ फलदार पौधे दिये जायेंगे. इससे ग्रामीण क्षेत्र में स्थित गैर मजरूआ तथा बंजर भूमि को हरा-भरा किया जायेगा. एक यूनिट में 100 पौधे लगेंगे. गांव के ही किसी एक परिवार को इन पौधोें की सुरक्षा की जिम्मेवारी दी जायेगी.
उस परिवार को मनरेगा के तहत एक वर्ष के मान्य सौ दिनों का अकुशल रोजगार दिया जा सकेगा. अगले पांच साल तक पौधों को सुरक्षित रखने के लिए भी सहयोग दिया जायेगा. गांव के अप्रोच रोड एवं इंटरनल रोड के किनारे भी खाली जमीन पर वृक्षारोपण किया जायेगा. गांव के ही किसी गरीब परिवार को इसकी जिम्मेवारी दी जायेगी. प्रखंड एवं जिला स्तर पर प्रसंस्करण इकाई की स्थापना के प्रयास किये जायेंगे. उत्पाद को सुगम रूप से बाजार उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था की जायेगी. प्रत्येक परिवार को पचास हजार रुपये की निश्चित वार्षिक आमदनी दिलाने का प्रयास होगा. मनरेगा के तहत 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन होगा.