झोपड़ी में चल रहे हैं राजधानी के तीन ट्रैफिक थाना, हालत इतनी खराब कि बैठना तक मुश्किल
झारखंड में स्मार्ट पुलिसिंग के तहत 24 जिले के अधिकतर थाना को अपग्रेड कर दिया गया है. इन थाना के लिए आलीशान भवन भी बन गये
अजय दयाल : झारखंड में स्मार्ट पुलिसिंग के तहत 24 जिले के अधिकतर थाना को अपग्रेड कर दिया गया है. इन थाना के लिए आलीशान भवन भी बन गये. इसी क्रम में वर्ष 2013 में लालपुर, गोंदा, जगन्नाथपुर व चुटिया (कोतवाली) में चार ट्रैफिक थाना बनाये गये. लेकिन लालपुर ट्रैफिक थाना को छोड़कर में बाकी तीन थाना आज भी झोपड़ी में चल रहे हैं. पुरानी पुलिस लाइन (होटल लीलेक के समीप) स्थित थाना को लालपुर ट्रैफिक थाना नाम दिया गया़ उस थाना के लिए नया भवन 2019 में बनाया गया था.
गोंदा ट्रैफिक थाना : कांके रोड के न्यू पुलिस लाइन के पहले स्थित सरकारी स्कूल व सामुदायिक अस्पताल परिसर में चलता है गोंदा ट्रैफिक थाना. लोहे का चदरा से घेर कर बनाये जाने वाला पोटाहट के एक कमरे में यह थाना चलता है. उसी में एक तरफ ऑफिस व थाना प्रभारी कक्ष बनाया गया है. इसका क्षेत्र कांके रोड से चांदनी चौक तक, रातू रोड, कांके रोड से न्यू मार्केट, हरमू बाइपास रोड मुक्तिधाम के समीप पुल तक, न्यू मार्केट से अपर बाजार और नागा बाबा खटाल तक है.
जगन्नाथपुर ट्रैफिक थाना : जगन्नाथपुर ट्रैफिक थाना, पुराने जगन्नाथपुर थाना के छोटे से भवन में चलता है. इस थाना की स्थिति भी काफी खराब है. थाना प्रभारी कक्ष और ऑफिस है. वह भी जर्जर हालत में है. जर्जर होने के कारण ही वहां नया थाना भवन बनाया गया था. बाद में उसी जर्जर अवस्था में जगन्नाथपुर ट्रैफिक थाना को शिफ्ट कर दिया गया. मरम्मत के बिना उसकी दीवार कभी गिर सकती है.
चुटिया (कोतवाली) ट्रैफिक थाना चुटिया थाना के पुराने भवन में सात सालों से चल रहा है. खपरैल होने के कारण इस थाना की हालत जर्जर है. इसमें मात्र दो कमरे में हैं. एक कमरे में थाना प्रभारी बैठते है, जबकि दूसरे कमरे में ऑफिस चलता है. पूरा थाना परिसर जब्त वाहनों से भरा पड़ा है. सबसे अधिक परेशानी यहां बरसात में होती है. बारिश के समय में तो यह थाना तालाब बन जाता है. इतना ही नहीं ऑफिस के काम के लिए ढंग का टेबल, कुर्सी भी नहीं है.
Posted by : Pritish sahay