Lightning Kills|Jharkhand Weather News|झारखंड में किसानों के लिए काल है वज्रपात. एक दशक में ठनका गिरने से 568 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, वर्ष 2021-22 में 4,40,000 बिजली गिरने की घटनाएं हो चुकीं हैं. क्लाइमेट रिसाइलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रोमोशन काउंसिल (CROPC) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020-21 में झारखंड में 322 मौतें हुईं हैं. इनमें से 96 फीसदी घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुई. मृतकों में 77 फीसदी किसान थे. प्रकृति के इस कहर से बचने के लिए झारखंड के गांवों में कोई विशेष उपाय नहीं हैं. आदिवासी किसानों को खेतों में काम करने के लिए जाना पड़ता है. इस दौरान वज्रपात से उनकी मौत हो जाती है.
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रिपोर्ट में बताया गया है कि पहाड़ी इलाके में बड़े-बड़े पेड़ों के बीच किसानों को खेत में काम करना होता है. खेत के आसपास वर्षा या वज्रपात से बचने के लिए उनके पास कोई ठिकाना नहीं होता. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा में जितने लोगों की मौत होती है, उसमें 33 फीसदी मौतें सिर्फ वज्रपात से होती है.
झारखंड उन 6 राज्यों में शुमार है, जहां सबसे ज्यादा वज्रपात की घटनाएं होती हैं. जंगली और पहाड़ी इलाकों में अचानक मौसम में बदलाव आम है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, वर्ष 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो सिर्फ 9 साल में 568 लोगों की मौत वज्रपात से हो गयी.
इसी साल 23 जुलाई को बोकारो जिला के राजकीयकृत मिडिल स्कूल पर वज्रपात हुआ. करीब 50 बच्चे बीमार पड़ गये. 6 की हालत गंभीर हो गयी. सभी को बोकारो जेनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, क्योंकि कई बच्चे बेहोश हो गये थे. प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्कूल का दौरा किया और स्कूलों में तड़ित चालक लगवाने के आदेश विभाग को दिये.
बता दें कि आदिवासी बहुल इलाकों में करीब 5,000 निजी स्कूलों में तड़ित चालक (Lightning Conductors) लगाये गये हैं. हालांकि, इनमें से अधिकतर या तो काम नहीं करते या फिर उनकी चोरी हो गयी. जमशेदपुर के एक शिक्षक ने बताया कि झारखंड में करीब 45 हजार सरकारी स्कूल हैं. मेरे स्कूल में तड़ित चालक लगा था, लेकिन उसकी चोरी हो गयी. अधिकतर स्कूलों में तड़ित चालक हैं ही नहीं.
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर पंकज कुमार कहते हैं कि वर्ष 2018 में पूर्वी सिंहभूम के सभी स्कूलों में तड़ित चालक लगाये गये थे. अब स्कूल कह रहे हैं कि वे या तो बेकार हो गये हैं या उनकी चोरी हो गयी है. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों को वज्रपात से बचाव के उपाय बताने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. फंड मिलने पर स्कूलों में फिर से तड़ित चालक लगाये जायेंगे.
राजधानी रांची स्थित मौसम केंद्र की ओर से हर दिन मौसम की चेतावनी जारी की जाती है. एसएमएस अलर्ट भी जारी किया जाता है. मौसम का पूर्वानुमान और अलर्ट जारी किया जाता है. इसके लिए मौसम ऐप्प लांच किया गया है. कृषि संबंधी सलाह के लिए ‘मेघदूत’ और मेघ गर्जन एवं वज्रपात की पूर्व सूचना के लिए ‘दामिनी’ ऐप्प लांच किया गया है. ऐप्प यह भी बताता है कि अगर वज्रपात होता है, तो उससे कैसे अपना बचाव करें.
राज्य सरकार वज्रपात से मौत होने पर 4 लाख रुपये का मुआवजा देती है. घायलों को 2 लख रुपये तक सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाता है. वहीं, अगर घर को नुकसान होता है, तो 2,100 रुपये से लेकर 95,100 रुपये तक का भुगतान सरकार करती है. मवेशियों की मौत पर लोगों को 3,000 रुपये से 30,000 रुपये तक का मुआवजा मिलता है.