Ranchi News: हमारी रांची और पोताला बाजार (Potala Market) का रिश्ता करीब 51 वर्ष पुराना है. पोताला बाजार से जुड़ा हर तिब्बतियन का यहां से गहरा जुड़ाव है. तीन-तीन पीढ़ियां यहां से जुड़ी हुई हैं. रांची कइयों की जन्मस्थली है. यहां उनका बचपन गुजरा है. वह कहते हैं : उनके लिए रांची सिर्फ व्यापार स्थली नहीं है, बल्कि इस शहर से उनका गहरा लगाव है. पोताला मार्केट का संचालन 25 परिवार के जिम्मे है. यह परिवार हिमाचल, देहरादून, कर्नाटक और ओड़िशा से यहां पहुंचा है. वह कहीं भी रहे, लेकिन हर वर्ष ठंड में रांची पहुंच जाते हैं. यह समय न सिर्फ व्यापार का ठिकाना है, बल्कि अगले चार माह के लिए छुट्टी का ठिकाना भी है.
1971 से रांची में पोताला मार्केट लग रहा है. शुरुआती दिनों में मार्केट मेन रोड के अलबर्ट एक्का चौक के समीप लगता था. बाद में इन्हें जयपाल सिंह स्टेडियम में जगह दी गयी. वहीं, बीते चार वर्षों से इन्हें महेंद्र प्रसाद कॉलेज कैंपस में मार्केट लगाने की अनुमति दी जा रही है.
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शिरिंग थिनले, पोताला मार्केट के पूर्व अध्यक्ष टी दमदूल के बेटे हैं. वह कहते हैं : दादा वेशे ने सबसे पहले रांची में पोताला मार्केट लगाना शुरू किया. आज भी पूरा परिवार पोताला मार्केट से जुड़ा हुआ है. शिरिंग का जन्म रांची में ही हुआ है. वह कहते हैं : रांची अपना घर जैसा लगता है. 10 नवंबर को मेरा जन्मदिन है और हर वर्ष इस दिन अपनी जन्मस्थली रांची में ही रहता हूं. अब तो मेरा तीन साल का बेटा भी पाेताला मार्केट का सदस्य है.
हिमाचल प्रदेश से पहुंची शिरिंग खांडो 45 वर्षों से रांची आ रही हैं. वह कहती हैं : मेरी बेटी तेनजीन का जन्म सदर अस्पताल रांची में ही हुआ है. मेरी नातिन का भी जन्म यहीं हुआ है. हमारी तीन पीढ़ियां पोताला से जुड़ी हुई है. नातिन कॉलेज से छुट्टी लेकर पोताला मार्केट में सेवा देने आयी है. रांची हमारा दूसरा घर है. मेरी जिंदगी के बहुत सारी यादें यहां से जुड़ी हुई हैं.
कर्नाटक से आये जीगमी वाेसेर पोताला मार्केट के पूर्व अध्यक्ष शिरिंग दोर्जे के बेटे हैं. जीगमी कहते हैं : पोताला मार्केट से हमारा रिश्ता तीन पीढ़ी से जुड़ा हुआ है. हम आठ भाई-बहन हैं, जिसमें छह भाईयों का जन्म रांची में ही हुआ है. मेरे पापा पिछले 50 वर्षों से यहां आ रहे हैं. इसलिए रांची से बेहद गहरा जुड़ाव है.
पोताला मार्केट के अध्यक्ष तेनजिंग लुंडुप कहते हैं : दादा लोबसांग और पिता लोबसांग तेनजिंग का रांची से गहरा जुड़ाव रहा है. भाई ने इसी बाजार की कमाई से पढ़ाई की. आज वह अमेरिका में डॉक्टर हैं.
रिपोर्ट : लता रानी, रांची