रांची : झारखंड अलग राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा के चार चुनावों में 20 प्रत्याशियों ने एक लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीता है. वर्ष 2004, 2009 व 2014 में हुए तीन लोकसभा चुनावों में केवल 11 प्रत्याशियों ने एक लाख से अधिक वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को पीछे छोड़ा था. परंतु, 2019 में संपन्न चुनाव में नौ प्रत्याशियों ने बड़े अंतर से जीत दर्ज करने में सफलता पायी थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में सबसे कम केवल एक प्रत्याशी भाजपा के अर्जुन मुंडा ने ही एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से अपने विरोधी को हराया था.
झामुमो ने दो और कांग्रेस, भाकपा व आजसू ने एक-एक बड़ी जीत हासिल की थी
पिछले चार लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक 15 बार भाजपा के प्रत्याशियों ने एक लाख से बड़े अंतर से जीत हासिल की है. उसके बाद झामुमो ने दो बार और आजसू, कांग्रेस व भाकपा के उम्मीदवारों ने केवल एक-एक बार ही चुनावी दंगल में एक लाख से अधिक मतों से अपने विरोधी को मात दी है. 2004 के चुनावों में दुमका से शिबू सोरेन और गिरिडीह से टेकलाल महतो ने झामुमो के टिकट पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को बड़े अंतर से धूल चटायी थी. वहीं, 2004 में ही भाकपा के भुवनेश्वर मेहता ने हजारीबाग व कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे ने धनबाद और 2019 में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने गिरिडीह का चुनाव बड़े अंतर से जीता था.
पीएन सिंह के नाम सबसे अधिक वोटों से जीत का है रिकार्ड
राज्य गठन के बाद हुए लोकसभा चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज करने का रिकार्ड धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह के नाम है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 486194 वोटों से अपने प्रतिद्वंद्वी को मात दी थी. श्री सिंह के अलावा कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, हजारीबाग से जयंत सिन्हा और पलामू से बीडी राम ने भी चार लाख से अधिक अंतर से अपने विरोधियों को धूल चटायी थी.