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फिट रहना है तो लोकल फूड को डाइट में करें शामिल, रांची में सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट ने बताए कई आसान टिप्स

सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट एक्सपर्ट रुजुता दिवेकर जिमखाना क्लब में रांचीवासियों से रू-ब-रू हुईं. उन्होंने कहा कि सप्ताह में 150 मिनट व्यायाम और सुबह में नाश्ता अवश्य करें. सेहतमंद रहना है तो लोकल फूड को डाइट में शामिल करें. इसके अलावा रुजुता दिवेकर ने कई आसान टिप्स दिए हैं.

सेलिब्रिटी पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर रविवार को जिमखाना क्लब में राजधानीवासियों से रू-ब-रू हुईं. लाइव टॉक शो में कहा : फिटनेस के रास्ते पर चलेंगे, तो सबकुछ अच्छा लगेगा. नियमित व्यायाम से शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ होंगे. समय-समय पर सीमित मात्रा में अपनी थाली में पौष्टिक भोजन शामिल करें. साथ ही सप्ताह में 150 मिनट का व्यायाम और सुबह में नाश्ता जरूर करें. जिम सिर्फ यह सोच कर न जायें कि पैसा देना पड़ रहा है. इस दौरान रुजुता दिवेकर ने राजधानीवासियों की जिज्ञासाओं को शांत किया और बेहतर स्वास्थ्य से जुड़ी अहम जानकारियां दी. उन्होंने कहा कि भोजन यह सोचकर न करें कि इसमें कितना फैट, कार्बोहाइड्रेट या प्रोटीन है. अपनी थाली में बाहर के खाने से ज्यादा पारंपरिक खान-पान को शामिल करें.

मौसमी फल और सब्जी को थाली में शामिल करें

रुजुता दिवेकर ने कहा कि पोषण युक्त दैनिक आहार पर चर्चा करते हुए रुजुता ने भोजन की थाली में मौसमी फल और सब्जी को निश्चित रूप से शामिल करने की सलाह दी. इससे शरीर को जरूरी पोषण तत्व मिलते रहेंगे. रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग सुबह में नाश्ता नहीं करते हैं, जो आनेवाले समय में गैस्ट्रिक और आंत के कैंसर का कारण बन जाता है. उन्होंने सुबह के नाश्ते में हल्का और पोषण युक्त आहार जैसे पोहा, चूड़ा, फल, ड्राइ फ्रूट को शामिल करने की सलाह दी. साथ ही जरूरी मात्रा में पानी पीने के लिए भी प्रेरित किया.

चिप्स, कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट खाने से बचें

रुजुता दिवेकर ने कहा कि लोग अक्सर विमर्श करते हैं कि भोजन में शुगर की मात्रा कितनी हो. जबकि शुगर (चीनी) को भारतीय संस्कृति में पंचामृत में शामिल किया गया है. लोग आज चीनी के विकल्प के तौर पर स्टीविया व अन्य चीज को आहार में शामिल कर रहे हैं. जबकि इसकी मात्रा निर्धारित न हो, तो शरीर को नुकसान पहुंचेगा. भोजन में चीनी की फिक्र किये बिना चिप्स, कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट खाने से बचें. इन चीजों को पूरी तरह से छोड़ दें. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग चाय के साथ बिस्किट खाते हैं, जबकि चाय के साथ मूंगफली, चना या मठरी खाना बेहतर है. कार्यक्रम का संचालन रिंकू लोहिया और अंकुर चौधरी ने किया.

विशेष बातचीत : सेलिब्रिटी पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर की महत्वपूर्ण सलाह

सेहत को लेकर हर कोई चिंतित है, लेकिन जब हेल्दी डाइट को शामिल करने की बात आती है, तो लोग उसे फॉलो नहीं करते हैं. दिनचर्या में बदलाव नहीं लाना चाहते. नतीजा यह होता है कि कम उम्र में ही लोग हैवी वेट यानी मोटापा से ग्रसित होते जा रहे हैं. और जब समस्या शुरू हो जाती है तब स्लिम एंड ट्रिम बनने की चिंता सताने लगती है, लेकिन उस वक्त रास्ता कठिन हो जाता है. यदि सही में सेहतमंद रहना है, तो प्रतिदिन एक घंटे मेहनत करें और जहां रह रहे हैं वहां के स्थानीय भोजन को डाइट में शामिल करें. ये बातें प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर ने प्रभात खबर के राजीव पांडेय से विशेष बातचीत में कहीं-

रेस्टोरेंट और क्लब कल्चर में व्यक्ति खुद को कैसे स्वस्थ रख सकता है?

रेस्टोरेंट और क्लब कल्चर के इस दौर में लोग तरह-तरह के नाम वाले अंग्रेजी और महंगे डिश की तरफ आकृष्ट हैं. लेकिन हमें उसी में रहते हुए अपने खानपान में बदलाव लाना होगा. नयी-नयी बीमारी की चुनौती सामने आ रही है, लेकिन दिनचर्या में हेल्दी डाइट प्लान कर उसके अनुरूप खुद को तैयार कर लें, तो स्वस्थ हो जायेंगे. हमारी सुबह की शुरुआत चाय और बिस्किट से होती है. यहीं पर गलती हो जा रही है. बिस्किट से हम अतिरिक्त शुगर ले रहे हैं. यदि इसकी जगह बादाम को शामिल कर लें, तो लो फैट और लो शुगर से बच जायेंगे. मोटे अनाज और झारखंड की साग-सब्जी का नियमित उपयोग करें, स्वस्थ रहेंगे.

पारंपरिक व स्थानीय भोजन को आदत में कैसे शामिल किया जाये?

यूथ और स्कूल गोइंग बच्चों को पारंपरिक भोजन से जोड़ना कठिन है, लेकिन इसको दादा-दादी और नाना-नानी के साथ खाने की आदत डालकर आसान बनाया जा सकता है. फास्ट फूड यानी पिज्जा और बर्गर के इस युग में यूथ और बच्चों के बीच प्रतियोगिता कराकर उनमें रुचि पैदा की जा सकती है. इससे एक तो पारंपरिक अनाज और भोजन के बारे में युवाओं और बच्चों को जानकारी होगी. साथ ही उसके पोषण और फायदे जानकर जुड़ पायेंगे.

किचन को घर की डिस्पेंसरी कहा जाता है, कितनी सहमत हैं?

किचन को अन्न और पोषण का भंडार कहा जाता है. यह आज से नहीं पूर्वज काल से साबित हुआ है. कोरोना काल में इसकी महत्ता समझ में आ गयी है. महिलाओं ने किचन की सामग्री से अपने परिवार को सुरक्षित किया है. यही कारण है कि अब लोग किचन को पहली डिस्पेंसरी मानने लगे हैं.

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