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तोपचांची डैम की कभी नहीं हुई सफाई, 30 फीट जमा है गाद

बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट में सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित तेनुघाट डैम की लंबाई सात किमी है. झारखंड में मॉनसून की बेरुखी का असर इस डैम पर भी पड़ा है

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2023 2:19 PM

तोपचांची. झरिया वाटर बोर्ड डैम यानी तोपचांची डैम का निर्माण 1915 से 1924 तक 559 हेक्टेयर व छह किमी की परिधि में किया गया. झील की गहराई निर्माण के समय 72 फीट थी. 99 साल उम्र की इस झील की निर्माण के बाद भलीभांति सफाई कभी नहीं करायी गयी. इस कारण इसकी जल संग्रह की क्षमता लगातार घटती जा रही है. 30 फीट तक गाद जमा है. झील के निर्माण का मकसद धनबाद, झरिया और कतरास तक शुद्ध पानी पहुंचाना था. जिसे पहुंचाया भी गया. 95 वर्षों के बाद विभाग ने मिट्टी कटाई करायी भी, लेकिन गाद की सफाई नहीं हो सकी.

लगातार घट रहा है तेनुघाट डैम का जलस्तर

बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट में सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित तेनुघाट डैम की लंबाई सात किमी है. झारखंड में मॉनसून की बेरुखी का असर इस डैम पर भी पड़ा है. फिलहाल वर्षा नहीं होने से डैम में पानी जमा नहीं हो रहा है. डैम के अंदर सिलटेशन के कारण भी जलस्तर घटता जा रहा है. जानकारी के अनुसार, हर साल जून-जुलाई के महीने में पानी से भरे इस डैम में जलस्तर काफी बढ़ जाने से डैम के एक-दो गेट को खोलना पड़ता था. लेकिन इस बार जुलाई माह समाप्त होने को है और जलस्तर घट रहा है.

तेनुघाट डैम पर बेरमो की बड़ी आबादी है निर्भर

तेनुघाट डैम पर बेरमो अनुमंडल की बड़ी आबादी पेयजल के लिए निर्भर है. बेरमो अनुमंडल की 19 पंचायतों में मेघा जलापूर्ति योजना के तहत इसी डैम से शुद्ध जल जाता है. इसके अलावा पेटरवार सहित अन्य कई जगहों में भी पाइपलाइन के द्वारा जलापूर्ति की जाती है.

वर्षों से मैथन डैम की सफाई नहीं हो सकी, अब जलस्तर पर पड़ रहा प्रभाव

डीवीसी के मैथन डैम के गाद की सफाई विभागीय रूप से वर्षों से नहीं हो सकी है. मैथन-धनबाद जलापूर्ति योजना की पाइपलाइन को लेकर इंटेकवेल के समक्ष कोरोना काल में डीवीसी प्रबंधन, एमपीएल व जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से सफाई करायी थी. लेकिन गाद की सफाई नहीं होने से डैम के जल स्तर पर प्रभाव पड़ रहा है. ज्ञात हो कि मैथन डैम से झारखंड क्षेत्र में केवल मैथन से धनबाद तक जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है. वहीं पश्चिम बंगाल में आसनसोल, वर्द्धमान और दुर्गापुर बराज को सिंचाई व जलापूर्ति के लिए पानी भेजा जाता है.

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