बाजार शुल्क के विरोध में झारखंड के व्यापारी, अन्य राज्यों से अनाज की खरीद रोकी, गहरा सकता है खाद्यान संकट
झारखंड के व्यापारियों ने बाजार शुल्क के विरोध में सोमवार से अन्य राज्यों से अनाज की खरीद पर रोक लगा दी है. इससे राज्य में खाद्यान्न संकट गहरा सकता है. झारखंड चेंबर ऑफ काॅमर्स समेत अन्य जिलों के व्यापारी संगठनों ने बाजार शुल्क खत्म किये बिना खाद्यान्न आयात नहीं करने की बात कही है.
Jharkhand news: झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 वापस नहीं लिये जाने के विरोध में सोमवार (16 मई, 2022) से राज्य के व्यापारियों का विरोध तेज हो गया है. बाजार शुल्क के विरोध में व्यापारियों ने सोमवार से अन्य राज्यों से अनाज की खरीद रोक दी है. आयात रोकने से राज्य में खाद्यान्न संकट पैदा हो सकता है. बता दें कि इस शुल्क को लगाने के फैसले को मार्च में विधानसभा से मंजूरी मिली थी. फिलहाल उसे राज्यपाल के अनुमोदन का इंतजार है.
झारखंड चेंबर का विरोध
झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि विभिन्न तरीकों से हमने अपनी शिकायतें सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. इससे बाध्य होकर व्यापारियों ने अन्य राज्यों से शीघ्र नष्ट होने वाले एवं शीघ्र नष्ट नहीं होने वाले दोनों तरह के खाद्य उत्पादों का आयात रोकने का फैसला किया है. कहा कि जबतक सरकार प्रस्तावित बाजार शुल्क वापस नहीं लेती है, तब तक कोई भी व्यापारी नया आर्डर नहीं लेंगे.
बाजार शुल्क बढ़ने से उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
बता दें राज्य में छह मंडियां हैं. इसके तहत रांची में दो तथा धनबाद, बोकारो, रामगढ़ एवं देवघर में एक-एक मंडी है. फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से व्यापारिक संगठन अप्रैल माह से ही इस प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध कर रहे हैं. व्यापारियों ने दावा किया कि प्रस्तावित शुल्क से उपभोक्ता उत्पादों के दाम बढ़ेंगे और लोगों पर बोझ बढ़ेगा.
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इस संबंध में झारखंड राज्य कृषि विपणन बोर्ड (Jharkhand State Agricultural Marketing Board- JSAMB) के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार के मुताबिक, नये नियम के प्रभाव में आ जाने पर जल्द नष्ट नहीं होने वाले जिंसों पर दो फीसदी और जल्द नष्ट हो जाने वाले जिंसों पर एक प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने का प्रावधान है. साथ ही कहा कि कृषि बाजार शुल्क लगाने का नियम केंद्र ने लागू किया है और झारखंड सरकार ने महज उसे अपनाया है. उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों का अलग-अलग बाजार शुल्क ढांचा है. इस शुल्क का लक्ष्य राज्य में मंडियों के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना एवं उसमें सुधार करना है.
गुमला में व्यापारियों का भी विरोध
इधर, गुमला जिले के व्यापारियों ने सोमवार से दूसरे राज्य से अनाज की खरीद बंद कर दी है. व्यापारी 15 मई के पहले किये गये ऑडर ही लेंगे. 16 मई से खाद्यान्न ऑर्डर करना बंद कर दिया गया है. चेंबर ऑफ कामर्स, गुमला की मानें तो गुमला जिले में चावल 25 फीसदी बाहर से मंगायी जाती है. इसके साथ ही गेहूं, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज सभी बाहर से मंगाए जा रहे हैं. एक आकलन के मुताबिक, गुमला के व्यापारियों के पास सप्ताह भर के ही खाद्यान्न के स्टॉक हैं. ऐसे में यदि समय पर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने की आशंका है. गुमला में रांची, हरियाणा, पंजाब, एमपी, यूपी, पश्चिम बंगाल से खाद्यान्न मंगाये जाते हैं.
विधेयक महंगाई का भार बढ़ाने वाला : दिनेश
चेंबर के अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल ने कहा कि कृषि विपणन विधायक-2022 का गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स विरोध करता है. क्योंकि यह विधेयक को व्हाट्सएप राष्ट्र जनता के ऊपर महंगाई का भार बढ़ाने वाला, भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला तथा इंस्पेक्टर राज बढ़ाने वाला है. रांची एफजेसीसीआई की अनुषंगिक इकाई होने के कारण गुमला चेंबर ऑफ कॉमर्स एसइसीआइ के निर्णय के अनुसार 16 मई से समस्त झारखंड में अन्य राज्यों से खाद्य पदार्थ आवक बंद करने का समर्थन करता है.
Also Read: झारखंड पंचायत चुनाव: राज्य के 21 जिलों में 68.15 फीसदी वोटिंग, जानें जिलावार वोटिंग की स्थितिमंडी शुल्क में पुनर्विचार करें सरकार : हिमांशु
चेंबर ऑफ कॉमर्स के निवर्तमान अध्यक्ष हिमांशु आनंद केशरी ने कहा कि कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में भी अपनी जान माल की परवाह किये बगैर हम व्यापारियों ने सरकार व जिला प्रशासन का सहयोग करते हुए राज्य में खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखी. हर संभव मदद भी की. परंतु राज्य सरकार हम व्यापारियों की बात नहीं सुन रही है. सरकार को लगाये जाने वाले मंडी शुल्क में पुनर्विचार करने की जरूरत है.
सांसद और विधायक आगे आये : पदम साबू
चेंबर के पूर्व अध्यक्ष पदम साबू ने कहा कि राज्य में लगाये जाने वाले मंडी शुल्क का जोरदार विरोध होना चाहिए. हर सांसद व विधायक को भी हम व्यापारियों व आम जनता के हितों को देखते हुए राज्यपाल महोदय के पास अपनी मांग हमलोगों के समर्थन में रखनी चाहिए. व्यापार में सिर्फ आवक ही नहीं अपितु पूरा व्यापार ही शटर गिराकर बंद कर देनी चाहिए. सरकार से मांग करते हैं. इस विधेयक पर पुन: विचार करें. राज्य को संकट से उबारे.
सरकार बेवजह का टैक्स न लादे : महेश
चेंबर के पूर्व अध्यक्ष महेश कुमार लाल ने कहा कि राज्य सरकार टैक्स पर टैक्स का भार बढ़ाकर हम व्यापारियों व जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने का कार्य कर रही है. अभी सभी कोरोना काल से उबरे ही हैं कि पुनः एक टैक्स लाद दिया गया है. सरकार इसे अविलंब वापस ले तथा बीते दिनों बढ़ाये गये होल्डिंग टैक्स में भी सरकार को पुनर्विचार करने की जरूरत है. अन्यथा इसपर भी विरोध होगा.
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चेंबर ऑफ कामर्स के पूर्व अध्यक्ष गुन्नू शर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा लगाये जा रहे मंडी शुल्क का विरोध करते हैं. इससे जनता में असंतोष है. यह जनविरोधी टैक्स है. सरकार को इसे जल्द से जल्द वापस लेने हेतु पुनर्विचार की जरूरत है. इस प्रकार के विधेयक से व्यापारियों के अलावा आम पब्लिक पर भी असर पड़ेगा.
दो प्रतिशत मंडी शुल्क बढ़ाना गलत : दामोदर
चेंबर के पूर्व अध्यक्ष दामोदर कसेरा ने कहा कि लगातार दो वर्षों के कोरोना काल की मार से अभी तक व्यापारी संभल भी नहीं पाये हैं और राज्य सरकार द्वारा दो प्रतिशत की मंडी शुल्क लगाने पर अपनी सहमति दे दी है. यह अव्यवहारिक है. इससे व्यापारियों में रोष है तथा आमजनता भी इसकी मार झेलेगी.
Posted By: Samir Ranjan.