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रांची शहर की सड़कों का 70 फीसदी हिस्सा बाधित, हर दिन लोग जूझ रहे हैं जाम से, जानें क्या है बड़ी वजह

रांची की सड़क के किनारे लगनेवालीं फुटपाथ दुकानें, अवैध ऑटो पड़ाव व जर्जर डायवर्सन यातायात व्यवस्था को बेपटरी करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. रांची में 25 हजार ऑटो चलते हैं, इनमें से सिर्फ पांच हजार के पास ही परमिट है

By Prabhat Khabar News Desk | January 20, 2023 8:40 AM

राजधानी रांची में यातायात व्यवस्था चरमरा गयी है. हर दिन लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है. कांटाटोली से बहू बाजार तक, मेकन चौक से पटेल चौक तक व रातू रोड में ओवरब्रिज का काम चल रहा है. इस कारण शहर की सड़कों का 60 से 70 फीसदी हिस्सा बाधित हो गया है. परिणाम यह कि हर ओर जाम लग रहा है.

इधर, सड़क किनारे लगनेवालीं फुटपाथ दुकानें, अवैध ऑटो पड़ाव व जर्जर डायवर्सन यातायात व्यवस्था को बेपटरी करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. रांची में 25 हजार ऑटो चलते हैं, इनमें से सिर्फ पांच हजार के पास ही परमिट है. बिना परमिटवाले ऑटो व ई-रिक्शा की भी ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में बड़ी भूमिका है.

वहीं, जहां ओवरब्रिज का निर्माण हो रहा है, वहां सड़क किनारे बनाये गये डायवर्सन में जगह गड्ढे बन आये हैं. कई चौक-चौराहों पर सिग्नल व लाइटिंग सिस्टम सही नहीं है. जेब्रा क्रॉसिंग, स्टॉप लाइन, लेफ्ट लाइन मार्क भी नहीं दिखायी देते. पुलिसकर्मी यातायात व्यवस्था सुधारने की जगह चालान काटने में व्यस्त रहते हैं.

स्थायी ट्रैफिक एसपी नहीं :

दो वर्षों से रांची में स्थायी ट्रैफिक एसपी नहीं हैं. प्रभार में काम चल रहा है. ग्रामीण एसपी नौशाद आलम को सिटी एसपी के साथ ही ट्रैफिक एसपी की भी जवाबदेही दी गयी है. महज दो डीएसपी के भरोसे ट्रैफिक सुधार की खानापूर्ति की जा रही है. जबकि, चार डीएसपी की जरूरत है.

रांची में हर साल बढ़ रहे औसतन 97,814 वाहन

रांची में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हर साल औसतन 97,814 वाहन बढ़ रहे हैं. 2022 में रांची में 96,247, 2021 में 90,591, 2020 में 94,880 और 2019 में 1,09,539 वाहनों की बिक्री हुई है. जबकि, रांची में कुल निबंधित वाहनों की संख्या 13.68 लाख है. जानकारों का कहना है कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद यहां ग्रोथ काफी बढ़ा है. इस कारण वाहनों की संख्या बढ़ी है. साथ ही आबादी भी तेजी से बढ़ी है. लेकिन, शहर में सड़कों की चौड़ाई बढ़ने के बजाय घट गयी है. सड़कों पर अतिक्रमण के कारण यह स्थिति हुई है.

साल निबंधित वाहन

2022 96,247

2021 90,591

2020 94,880

2019 1,09,539

माह निबंधित वाहन

जनवरी 6,581

फरवरी 6,883

मार्च 8,301

अप्रैल 7,763

मई 8,166

जून 7,502

जुलाई 7,618

अगस्त 6,828

सितंबर 7,662

अक्तूबर 14,189

नवंबर 7,853

दिसंबर 6,901

आबादी बढ़ी, वाहन बढ़े, पर सड़कें नहीं बढ़ीं

रांची शहरी और ग्रामीण इलाकों की आबादी राज्य गठन वर्ष 2000 के बाद तेजी से बढ़ी. दूसरे जिलों से बड़ी संख्या में लोग रांची पहुंचे. यहां घरों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि हुई. बड़े-बड़े मुहल्ले बसते चले गये. इस कारण गाड़ियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी. स्कूल व अन्य शिक्षण संस्थानों के साथ ही अस्पतालों और गैर सरकारी तथा सरकारी कार्यालय भी बढ़ते चले गये. इनसे जुड़े वाहन भी बढ़े.

इस कारण जाम लगने लगा. राज्य गठन के समय सड़क उतनी चौड़ी नहीं थी, पर बाद में समय-समय पर इन सारी सड़कों पर काम हुआ और उसे चौड़ा किया गया. इंजीनियरों का मानना है कि ट्रैफिक बोझ की तुलना में सड़कें उतनी चौड़ी नहीं हुईं. साथ ही एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में निकलने के लिए इंटर कनेक्टिंग सड़कें नहीं बनीं.

दो पहिया वाहन का करें प्रयोग

सड़क संकरी हो गयी है. ऑटो की संख्या भी अधिक है, जो जाम का मुख्य कारण है. कुछ जगहों को चिह्नित कर सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए पथ निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है. लोगों से भी अपील है कि जहां तक संभव हो चारपहिया की जगह अभी दोपहिया वाहन से ही काम चलायें.

नौशाद आलम, प्रभारी ट्रैफिक एसपी

हरमू रोड : ऑटो के कारण लगता है जाम

एलपीएन शाहदेव चौक से हरमू बाइपास रोड में ऑटो के कारण जाम लगता है. रातू रोड में एलिवेटेड रोड के कारण न्यू मार्केट चौक पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी मैनुअल काम कर रहे हैं. इस कारण जाम की स्थिति रहती है. किशोरगंज चौक पर जाम लगता है.

बूटी मोड़ : बस चालकों की मनमानी

बूटी मोड़ पर रोजाना बस चालकों की मनमानी देखने को मिलती है. स्टॉप नहीं होने के बावजूद हर बस वहां रोक कर पैसेंजर उठाती है. इसी तरह बूटी चौक के समीप स्थित एसबीआइ के पास अवैध ऑटो स्टैंड बना दिये जाने से भी जाम लगता है.

खेलगांव चौक व रातू रोड : अवैध ऑटो स्टैंड

खेलगांव चौराहा के पास आये दिन सड़क हादसे होते हैं. चौराहा के दोनों लेन में अवैध ऑटो स्टैंड और ट्रकों की अवैध पार्किंग के कारण जाम लगता है. साथ ही दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है. यहां पर ट्रैफिक सिग्नल दो साल से खराब है. ट्रैफिक पुलिस मैनुअल काम करती है. रातू रोड में नागा बाबा खटाल, जाकिर हुसैन पार्क के पास, हरमू रोड, अरगोड़ा चौक, कांटाटोली चौक व जेल चौक पर ऑटो की अवैध पार्किंग के कारण हमेशा जाम लगा रहता है.

करमटोली चौक व जेल चौक: सिग्नल का समय अधिक होने के कारण जाम

रिम्स से जेल चौक तक आने के दौरान करमटोली चाैक और जेल चौक के समीप रोज जाम लगता है. यहां जाम का मुख्य कारण करमटोली चौक और जेल चौक पर ट्रैफिक सिग्नल का टाइमिंग अधिक होना है. जेल चौक पर रुकने के लिए 180 सेकेंड व जबकि जाने के लिए मात्र 30 से 40 सेकेंड दिया जाता है. इस कारण जाम की स्थिति बनती है. यही स्थिति करमटोली चौक की भी है.

मेकन से कांटाटोली जाने में 45 मिनट

मेकन से ओवरब्रिज होते हुए पटेल चौक तक व बहू बाजार से कांटाटोली चौक से आगे तक फ्लाइओवर बनाने का कार्य किया जा रहा है. पहले जहां मेकन चौक से कांटाटोली चौक तक का सफर 10-15 मिनट में लोग वाहन से तय कर लेते थे. अब उतनी ही दूरी तय करने में 40-45 मिनट लग जाता है. मेकन चौक से आगे बढ़ते ही डोरंडा पोस्ट ऑफिस के पास निर्माण कार्य को लेकर सड़क के वन-वे कर दिये जाने से यहां जाम लग रहा है.

कोकर से कचहरी चौक तक जाम ही जाम

कोकर चौक से लालपुर होते हुए कचहरी तक चार जगहों पर जाम लगता है. पहला कोकर शिव मंदिर के पास तिराहा में केबलिंग के लिए गड्ढा किये जाने के कारण जाम लगता रहता है. दूसरा डिस्टिलरी पुल से लालपुर चौक तक सड़क किनारे दुकानें लगाये जाने के कारण सड़कों पर वाहनों के पार्क किये जाने से जाम लगता है. तीसरा स्पॉट न्यूक्लियस मॉल के समीप चौक का है.

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