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Ranchi: आत्म मूल्यांकन से बढ़ेगा लीडरशिप स्किल, जिमखाना क्लब में प्रशिक्षण सत्र का आयोजन, प्रबंधन कौशल का मिला प्रशिक्षण

Ranchi: प्रभात खबर और आइआइएम रांची के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को जिमखाना क्लब में एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया. मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स ने मैनेजरियल एंड लीडरशिप डेवलपमेंट विषय पर अलग-अलग चार सत्रों में प्रशिक्षण दिया.

Ranchi: प्रभात खबर और आइआइएम रांची के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को जिमखाना क्लब में एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया. मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स ने मैनेजरियल एंड लीडरशिप डेवलपमेंट विषय पर अलग-अलग चार सत्रों में प्रशिक्षण दिया. इस मौके पर बदलते दौर में प्रबंधन कौशल और कामकाज के तरीकों में आ रहे बदलाव में लीडर की भूमिका पर चर्चा की गयी. प्रभात खबर कर्मियों को इस दौरान संस्थान की बेहतरी के लिए जरूरी स्किल विकसित करने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही काम करने वाले सहयोगियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने और भीड़ से अलग हटकर अपनी पहचान कायम करने पर चर्चा की गयी. विशेषज्ञों ने बताया कि आज के दौर में यह जरूरी है कि लीडरशिप स्किल बढ़े, क्योंकि चीजें तेजी से बदल रही हैं, ऐसे में लीडरशिप स्किल को बढ़ाने के लिए समय-समय पर आत्म मूल्यांकन बेहद जरूरी है. मूल्यों के साथ आगे बढ़ने और एक-दूसरे के दुख-दर्द को समझते हुए संस्थान की बेहतरी में हर किसी की सक्रिय भूमिका निर्धारित करने पर बल दिया गया.

बड़ी सोच के साथ करें छोटी शुरुआत,लगातार बढ़ाएं स्किल

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता आइआइएम रांची के निदेशक प्रो डॉ दीपक श्रीवास्तव ने संस्थान के विकास के लिए प्रबंधन कौशल पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए सटीक रणनीति जरूरी है. रणनीति कागजी के बदले पूर्व के अनुभवों के आधार पर तैयार हो, तो यह काफी कारगर सिद्ध होगा. क्योंकि अनुमान कभी गलत हो सकता है, लेकिन अनुभव नहीं. संस्थान में सिद्धांत के साथ-साथ रचनात्मकता और व्यावहारिकता भी होनी चाहिए. आत्ममुग्ध होकर सिर्फ अपने काम को नहीं देखना चाहिए, बल्कि निरंतर इस पर भी फोकस होना चाहिए कि हमारे प्रतिद्वंद्वी संस्थान क्या कर रहे हैं. यदि वहां कुछ अच्छा हो रहा है, तो उस पर नजर रखते हुए उससे भी बेहतर करने की कोशिश होनी चाहिए.

सफल बनने के लिए ये पांच बिंदु पर काम जरूरी

  • मैनेजर सिर्फ मैनेज ना करें, बल्कि उद्यमी की तरह सोचें.
  • बाजार की स्थिति जानने के बाद तैयार की गयी रणनीति ही सफल होगी.
  • अनिश्चितता और जोखिम से डरे बिना उसे बेहतर तरीके से समझना होगा.
  • लीडर असमंजस की स्थिति में ना रहें, हमेशा बेहतर विकल्प तैयार रखें.
  • समस्याओं से घबराएं नहीं, उसकी पहचान कर समाधान की दिशा में बढ़ें.

मनभेद और मतभेद के अंतर को समझें

तकनीकी सत्र के दौरान आइआइएम रांची के सहायक प्रोफेसर डॉ गौरव मनोहर मराठे ने ‘नेतृत्व और प्रबंधकीय प्रभावशीलता’ पर अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि संस्थान को आगे ले जाने के लिए लीडरों को सक्रिय होकर काम करना होगा. लीडर को देखना होगा कि वह अपने अंदर वह गुण विकसित करें, जिसका लोग अनुसरण करें. अनुभव के साथ युवा सोच को भी अहमियत दें. कई बार ऐसा देखा जाता है कि अनुभव को अधिक प्राथमिकता दी जाती है. वहीं कुछ जगहों पर ऐसा भी होता है, जब युवा और कम अनुभव रखने वाले लोग भी बेहतर आइडिया दे सकते हैं. इसलिए अनुभव के साथ युवा सोच को भी पर्याप्त सम्मान मिलना चाहिए. यह संस्था को आगे ले जाने में कारगर सिद्ध होता है.

प्रबंधन और कर्मियों के साथ भावनात्मक जुड़ाव कायम रखें

आइआइएम रांची की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ तनुश्री दत्ता ने ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता के लिए आत्म मूल्यांकन’ की जरूरत पर अपनी बातें रखीं. तकनीकी सत्र में उन्होंने कहा कि लीडर को हमेशा प्रबंधन और कर्मियों प्रति भावनात्मक जुड़ाव कायम रखना चाहिए. कैसे संस्थान आगे बढ़े, इस पर निरंतर फोकस हो. कार्य के दौरान कभी भी अपनी व्यक्तिगत समस्या और भावना को नहीं लाएं. इस पर हमेशा काबू रखने पर फोकस करें. अच्छे वक्ता के साथ श्रोता का गुण विकसित करें. जब कोई कर्मी किसी आइडिया को लेकर आपसे बात कर रहा है, तो उसे गंभीरता से सुनें और उसे अमल में भी लायें. समस्या है तो दुविधा में ना रहें, बल्कि उसे दूर करने के लिए प्रयासरत रहें. घबराये बिना सकारात्मक सोच के साथ काम करें.

टीम लीडर वही, जो सबके हित की सोचे

प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि सच्चा लीडर वही है, जो अपने मन में किसी के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखे. सबके प्रति एक भाव रखते हुए अपने हर कर्मी के हित की बात सोचना ही लीडर का धर्म है. इसे समझते हुए कार्य करना चाहिए. अखबार लोगों की जरूरत और जन मुद्दों को छूने का निरंतर प्रयास करता है. अखबार का यह दायित्व भी है और इस दायित्व के निर्वहन के लिए पूरी ईमानदारी के साथ निरंतर काम होना चाहिए. प्रगति के लिए समय के साथ चलना जरूरी है. आगे वही बढ़ता है, जो परिवर्तन को स्वीकार करता है.

रचनात्मक सोच, टीम वर्क और टाइम मैनेजमेंट से मिलेगी सफलता

प्रभात खबर के निदेशक समीर लोहिया ने कहा कि संस्थान को शीर्ष पर पहुंचने की जिम्मेदारी प्रत्येक कर्मी को लेनी होगी. काम को हल्के में न लेकर उसके प्रति निष्ठा, प्रतिबद्धता और हर संभव लक्ष्य हासिल करने का जुनून रखना होगा. संस्थान टीम वर्क और रचनात्मक सोच से ही नयी उपलब्धियों को हासिल कर सकती है. ऐसे में सहकर्मियों के बीच रिश्ते मजबूत होने चाहिए. खुद पर विश्वास रखें और समय को महत्व देने से ही सफलता मिलेगी.  वहीं कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता ने संस्थान की नैतिकता और मूल्य के साथ-साथ कार्य संस्कृति पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान को आगे ले जाने में इन तीन तथ्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. चुनौतियां लगातार बढ़ेगी, ऐसे में अपनी सोच के दायरे को बढ़ायें. इस अवसर पर वाइस प्रेसिडेंट विजय बहादुर, सीएफओ आलोक पोद्दार, जीएम एचआर विकास कुमार, सीनियर मैनेजर एचआर निशांत गिरी समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे.

ड्रम सर्कल ने सिखाया खुश रहने का तरीका

इस मौके पर वर्क प्रेशर से खुद को निकालने के तरीके भी सिखाये गये. प्रो गौरव मनोहर मराठे ने ड्रम सर्कल के लाइव शो से प्रभात खबर कर्मियों को जोड़ा. इसमें प्रत्येक कर्मी को दरबूका और झाल दिये गये थे. इस आयोजन से कर्मियों को काम के बीच तनाव को दूर करने के लिए संगीत से जुड़ने की प्रेरणा दी गयी. साथ ही इच्छाशक्ति को बढ़ाने के लिए आध्यात्मिक विचारों से निरंतर प्रेरित रहने का संदेश दिया. प्रशिक्षण सत्र के समापन पर प्रभात खबर कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया.

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