रांची. बदलते समय के साथ सोच में बदलाव जरूर आता है. इस बदलाव के साथ जीवन जीने का तरीका भी बदल जाता है. कुछ ऐसा ही सकारात्मक बदलाव स्वैच्छिक रक्तदान संगठन लहू बोलेगा के प्रयास से समाज में लाया जा रहा है. इदारा-शरिया झारखंड, जमीयत-ए-उल्लेमा, झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड ब्वॉयज एसोसिएशन, विभिन्न ईसाई संगठन, सत्यभारती, हॉफमैन लॉ एसोसिएट, नाजिम-ए-आला, इदारा-ए-शरिया, रांची ईदगाह के ईमाम और मौलाना आदि रक्तदान के इस रिवाज को तेज कर रहे हैं. इसके लिए मोहल्लों में सामूहिक शपथ दिलायी जा रही है. इस कड़ी में विश्व रक्तदाता दिवस पर लहू बोलेगा संस्था ने राजधानी के 83 नियमित रक्तदाताओं, 11 धर्मगुरुओं और ब्लड बैंकों को सम्मानित किया. सम्मानित होनेवाले धर्मगुरुओं ने कहा कि समाज की सोच बदल रही है. मुसलमान रक्तदान करते हैं और उन्हें इस कार्य का सवाब भी मिलेगा.
बदल रही है युवाओं की सोच
इंजीनियर शाहनवाज अब्बास, डॉ दानिश रहमानी, अकरम राशिद, शम्स तबरेज, मो बब्बर, साजिद उमर, तौसीफ खान, मो कामरान, खुर्शीद, जावेद जैसे युवाओं की भी सोच बदली है. उनका कहना है कोरोना के दौरान खून की कमी से न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवा दी. ऐसे में रक्तदान करना उचित है. लहू बोलेगा के संस्थापक नदीम खान ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद खासकर अल्पसंख्यकों का नजरिया तेजी से बदल रहा है. युवाओं में तेजी से जागरूकता बढ़ रही है. इन युवाओं ने पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिवस के साथ ही विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर शिविर लगाने फैसला किया और बड़ी संख्या में रक्तदान कराया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है