केंद्र सरकार की योजना टरफा की फिर होगी जांच, बनायी गयी कमेटी, जानें पूरा मामला
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन कार्यक्रम के तहत लगातार तीन साल तक बिना सरकारी आदेश निकाले ही काम करा दिया गया था. 2017-18 से 2019-20 तक यह काम हुआ था.
केंद्र सरकार की योजना टारगेटेड राइस फेलो एरिया (टरफा) की जांच के लिए चौथी बार कमेटी बनायी गयी है. बिना राज्यादेश के काम कराये जाने के मामले की जांच तीन बार हो चुकी है. कृषि विभाग की इस योजना में आपूर्तिकर्ताओं ने पैसा भुगतान नहीं करने का दावा किया है. कृषि विभाग ने बिना आदेश के ही तीन साल तक इस योजना पर काम कराया. अब कृषि विभाग ने एक बार फिर इसकी जांच कराने का निर्णय लिया है.
इसके लिए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के योजना शाखा के उप सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी गयी है. कमेटी में राज्य मिशन निदेशक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, संबंधित प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेशक, उप निदेशक रसायन तथा उप निदेशक कृषि अभियंत्रण को टीम में रखा गया है. कमेटी को पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गयी है.
लगातार तीन साल तक बिना आदेश के हुआ काम :
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन कार्यक्रम के तहत लगातार तीन साल तक बिना सरकारी आदेश निकाले ही काम करा दिया गया था. 2017-18 से 2019-20 तक यह काम हुआ था. इस पर कुल 28 करोड़ रुपये खर्च कर दिये जाने की सूचना विभाग को दी गयी है. इसके लिए राशि की मांग की गयी है. आपूर्तिकर्ताओं को इसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है.
वित्त वर्ष 2017-18 में दलहन लगाने पर 8.48 करोड़ रुपये खर्च किया गया था. 2019-19 में 12.89 करोड़ तथा 2019-20 में 3.63 करोड़ रुपये खर्च किया गया था. इसी तरह तेलहन लगाने में 2018-19 में 2.78 तथा 2019-20 में 40 लाख रुपये से अधिक राशि खर्च की गयी थी. कुल मिलाकर तीन साल में करीब 28 करोड़ रुपये इस स्कीम में खर्च हुआ था.
स्कीम के निदेशक भी कर चुके हैं जांच
इस स्कीम के निदेशक रह चुके सुभाष सिंह भी टरफा की जांच पहले कर चुके हैं. पहली बार कृषि निदेशक छवि रंजन ने इसकी जांच करायी थी. दूसरी बार श्री सिंह ने खुद जांच की थी. इसमें कई स्थानों पर बीज आपूर्ति पर संदेह जताया था. तीसरी बार हजारीबाग के तत्कालीन कृषि निदेशक ब्रजेश्वर दुबे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जांच की थी. अब इस स्कीम की जांच का जिम्मा चौथी बार कमेटी को दी गयी है.