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बंगाल, यूपी समेत कई राज्यों के आदिवासी कलाकारों ने कैनवस पर दिखाये धरती आबा बिरसा मुंडा के जीवन प्रसंग

आदिवासी कलाकारों की कूचियों से सजे धरती आबा के 35 चित्र जीवंत हो उठे हैं. द्वितीय राष्ट्रीय जनजातीय लोक चित्रकला शिविर में कई राज्यों के आदिवासी और लोक चित्रकारों ने अपनी विभिन्न शैलियों में बहुरंगी इंद्रधनुष सा रच दिया.

Dharati Aba Birsa Munda: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और त्रिपुरा समेत कई राज्यों के कला शिक्षकों ने झारखंड में आकर धरती आबा बिरसा मुंडा के जीवन प्रसंगों को अपनी कल्पना के आधार पर कैनवस पर उतार दिया. राजधानी रांची स्थित आड्रे हाउस में लोग ‘धरती आबा’ के जीवन पर आधारित पेंटिंग्स को देखकर धन्य हो रहे हैं.

ये पेंटिंग्स पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन, उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, भोपाल और त्रिपुरा से भी आदिवासी समुदाय के कला शिक्षक और आचार्य यहां आये थे, जिन्होंने बिरसा मुंडा के विभिन्न जीवन प्रसंगों, भावों को अपनी-अपनी शैली में कैनवस पर उकेरी है.

आदिवासी कलाकारों की कूचियों से सजे धरती आबा के 35 चित्र जीवंत हो उठे हैं. द्वितीय राष्ट्रीय जनजातीय लोक चित्रकला शिविर में कई राज्यों के आदिवासी और लोक चित्रकारों ने अपनी विभिन्न शैलियों में बहुरंगी इंद्रधनुष सा रच दिया.

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इस शिविर में केरल के वायनाड जिले के आदिवासी शैली के चित्रकार आये थे, तो महाराष्ट्र के वारली, गुजरात के राठवा, राजस्थान की मीणा, भील, सहरिया, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के गोंड, ओड़िशा के सउरा, असम के राभा, पूर्वोत्तर के राज्यों नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर,मेघालय, अरुणाचल प्रदेश व त्रिपुरा के आदिवासियों और लोक चित्रकारों ने अपनी कूची से अलग-अलग शैली में चित्रकारी की.

इन कलाकारों ने अपने-अपने समुदाय की कथा, पर्व-त्योहार, अनुष्ठान, मिथक, दर्शन, इतिहास आदि को चित्रों में प्रदर्शित किया है. नेशनल गैलरी फॉर मॉडर्न आर्ट नयी दिल्ली के महानिदेशक अद्वैत गणनायक भी शिविर में उपस्थित हुए थे. उनकी विशिष्ट समकालीन शैली के दो चित्र भी इस प्रदर्शनी में शामिल हैं.

रांची से सटे पतरातू झील के पास 28 जनवरी से 3 फरवरी 2023 तक ‘द्वितीय राष्ट्रीय जनजातीय लोक चित्रकला शिविर’ का आयोजन किया गया था. इसमें केरल से लद्दाख और गुजरात से नगालैंड तक के 70 से अधिक आदिवासी एवं लोक चित्रकारों ने चित्रकारी की.

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नामचीन और समकालीन चित्रकारों के लिए दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु व अन्य आर्ट गैलरियों, आर्ट कॉलेजों के अलावा कॉरपोरेट घराने भी समय-समय पर शिविरों का आयोजन करते रहते हैं. इन शिविरों का उद्देश्य कलाकार को अपनी कला को निखारने का मौका देना है. ऐसे शिविरों में शामिल होने वाले आर्टिट्स विशिष्ट कलाकारों की शैली को समझते हैं और उससे कुछ सीखने की कोशिश करते हैं.

शहरों में कलाकारों के लिए बड़े-बड़े आयोजन होते हैं, लेकिन गांवों के कलाकारों को यह मौका नसीब नहीं होता. इसलिए झारखंड सरकार की संस्था डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान (TRI) ने वर्ष 2020 से परंपरागत चित्रकारों का राष्ट्रीय शिविर आयोजित करने की शुरुआत की.

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इसी क्रम में अलग-अलग राज्यों के आदिवासी कलाकारों ने अपनी चित्रकारी से सबका मन मोह लिया है. इनकी कला देखने के लिए लोग लगातार आड्रे हाउस पहुंच रहे हैं. आदिवासी कलाकारों की चित्रकारी के प्रति लोगों के आकर्षण को देखते हुए इस प्रदर्शनी की अवधि को बढ़ाकर 12 फरवरी 2023 कर दिया गया है.

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