झारखंड में रहने वाले आदिवासी समूहों के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार किया जा रहा है. प्रथम चरण में अति कमजोर आदिवासी समुदाय (PVTG) का बेसलाइन सर्वे होगा. आदिवासी कल्याण आयुक्त के मार्गदर्शन में झारखंड सरकार का कल्याण विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए आदिवासी गांवों की बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान स्थिति और विकास के मानक लक्ष्य से क्रिटिकल गैप सर्वे के साथ प्रत्येक गांव और टोला में शिक्षा, कौशल क्षमता, रोजगार, आय, जीवनस्तर आदि का ब्योरा भी जुटाया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार उनके सामाजिक-बुनियादी ढांचे, आजीविका और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाएगी. इसका फायदा यह होगा कि ऐसे जनजातीय समूहों के लोगों को पक्के आवास, स्वच्छता, पाइपलाइन के जरिये शुद्ध पेयजल, बिजली/सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस और ई-श्रम का लाभ मिल सकेगा. साथ ही स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी तक पहुंच, शिक्षा, सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता, हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी, मोटर बाइक एंबुलेंस/मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, वनोत्पाद आधारित आजीविका, राज्य आजीविका मिशन के तहत स्वयंसहायता समूहों और संघों को संगठित करके आजीविका में सुधार समेत अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जाएगा.
विकास की लकीर खींचने का प्रयास
ट्राइबल डिजिटल एटलस कल्याण विभाग तैयार करेगा. इसके तहत प्रथम चरण में सभी पीवीटीजी बस्तियों का मूल्यांकन और मैपिंग कर डेटाबेस तैयार किया जाएगा. इसके आधार पर प्रमुख सामाजिक, आर्थिक, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और आजीविका केंद्रित पहल के कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक कार्ययोजना को मिशन मोड में लागू किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि अगस्त 2024 तक राज्य में चिह्नित कुल 67,501 पीवीटीजी परिवार और 3,705 गांवों में की करीब 2,92,359 आबादी के विकास के लिए लकीर खींची जा सके.
विभिन्न आयामों से जोड़े जाएंगे
अति कमजोर जनजातीय समूहों को एक ओर सामाजिक-बुनियादी ढांचे में समाहित किया जाएगा, तो दूसरी ओर इनके पारंपरिक आजीविका की गतिविधियों को मजबूत भी किया जाएगा. जेटीडीएस चने की खेती, एसएचजी और क्लस्टर आधारित एफपीसी और महिला समूहों के माध्यम से जेएसएलपीएस इसके लिए कार्य करेगा. सिदो-कान्हू वनोपज फेडरेशन के माध्यम से इनके उत्पादों का बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित करेगा, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो. समूह में पाए जाने वाले एनीमिया, विशेष रूप से सिकल सेल एनीमिया और कुपोषण को दूर करने के लिए खाद्य सुरक्षा (डाकिया योजना) और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने को प्रमुखता दिया जाएगा.
पीवीटीजी युवाओं के लिए निःशुल्क आवासीय कोचिंग
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर असुर, कोरबा, माल पहाड़िया, बिरहोर, सबर, बिरजिया, सौर पहाड़िया जैसे आठ अति संवेदनशील जनजातीय समुदाय (PVTG) के युवक-युवतियों के नियोजन के लिए निःशुल्क आवासीय कोचिंग की शुरुआत कुछ माह पहले की गई है. प्रथम चरण में 150 युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा. इसमें 60 से अधिक युवतियां हैं. अति संवेदनशील जनजातीय समुदाय के लिए यह देश का पहला आवासीय कोचिंग शुरू हुआ है.
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