Tribal Entrepreneur News : चाईबासा की आदिवासी लड़की जर्मनी में चला रही फैशन फर्म
ज्योति की कहानी लगातार अपने सपनों का पीछा करने और उसे अंजाम तक पहुंचाने के उसके जुनून को बयां करती है. हो आदिवासी समुदाय से आनेवाली चाईबासा की ज्योति सीमा देवगम ने जर्मनी में अपनी पढ़ाई पूरी की और अब वह फैशन उद्यमिता के क्षेत्र से जुड़ी हैं.
प्रवीण मुंडा, (रांची). ज्योति की कहानी लगातार अपने सपनों का पीछा करने और उसे अंजाम तक पहुंचाने के उसके जुनून को बयां करती है. हो आदिवासी समुदाय से आनेवाली चाईबासा की ज्योति सीमा देवगम ने जर्मनी में अपनी पढ़ाई पूरी की और अब वह फैशन उद्यमिता के क्षेत्र से जुड़ी हैं. ज्योति और उनकी साथी मेरी ने जर्मनी में फर्म मैरी एंड सीमा जीएमबीएच की स्थापना की है. कपड़ों से संबंधित काम करनेवाली इस फर्म में ज्योति प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य कर रही हैं, जबकि मेरी क्रिएटिव डायरेक्टर हैं. फर्म अपने नये डिजाइनों और आइडियाज की वजह से बाजार में अपनी अलग जगह बना रही है. ज्योति की सफलता उसके परिवार से मिले प्रोत्साहन की वजह है, जिसने चुनौतियों से पार जाने की उसकी क्षमता पर भरोसा किया.
फैशन इंडस्ट्री के प्रति लगाव की वजह से कई नौकरियां छोड़ी
ज्योति बताती हैं कि बचपन से ही माता-पिता ने पढ़ाई लिखाई के प्रति काफी दबाव दिया, जबकि मुझे दोस्तों के साथ बाहर घूमना ज्यादा पसंद था. उसने कहा कि आज जो कुछ भी हूं वह मां शांति देवगम और पिता निरोज सिंह देवगम की वजह से ही हूं, जिन्होंने हमेशा पढ़ाई के लिए मुझे प्रोत्साहित किया. रांची में अपनी पढ़ाई के दौरान ही ज्योति ने कई अंशकालीन नौकरियां कीं और अलग-अलग क्षेत्रों का अनुभव लिया. वर्ष 2012 में रांची के मारवाड़ी कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया. वर्ष 2015 में लॉ की डिग्री हासिल की. मारवाड़ी कॉलेज में ही पढ़ने के दौरान एक आइटी फर्म में एचआर का काम किया. लॉ की पढ़ाई के दौरान एक वकील के अंडर में रांची सिविल कोर्ट में काम किया. इसके बाद एसबीआइ में नौकरी की. आर्थिक नजरिये से यह एक स्थिर और अच्छे भविष्य वाली नौकरी थी. लेकिन, अंदर की छटपटाहट और फैशन इंडस्ट्री के प्रति अपने लगाव की वजह से ज्योति ने यह नौकरी भी छोड़ दी.जर्मनी में मास्टर की डिग्री ली और फर्म शुरू किया
इन सब चीजों के बीच उसके जीवन में एक और चुनौती आयी जब उसे यह पता चला कि उनके पिता को कैंसर है. पिता निरोज सिंह देवगम की इसी साल जनवरी में कैंसर की वजह से मौत हो गयी. लेकिन, इन हालातों ने ज्योति को कड़ी मेहनत करने और अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित किया. जर्मनी जाकर ज्योति ने मास्टर की डिग्री ली.
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