अनुबंधकर्मियों की सेवा नियमित किये जाने का आदिवासी संगठनों ने किया विरोध, बंधु तिर्की ने हेमंत सरकार को घेरा

झारखंड के आदिवासी संगठनों ने राज्य में नियुक्त हजारों अनुबंध कर्मियों की सेवा नियमित किये जाने की प्रक्रिया का विरोध किया. इसको लेकर सोमवार को राज्य सरकार का पुतला दहन करेंगे. वहीं, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने आदिवासी-मूलवासी की भावना से खिलवाड़ नहीं करने की चेतावनी दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 15, 2023 12:14 PM

Jharkhand News: झारखंड के सरकारी विभागों में नियुक्त हजारों अनुबंध कर्मियों की सेवा नियमित किये जाने की प्रक्रिया का आदिवासी संगठनों ने विरोध किया है. इसको लेकर 16 जनवरी को दिन के 3:00 बजे आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि जयपाल सिंह स्टेडियम में जमा होंगे और मशाल जुलूस के साथ अलबर्ट एक्का चौक पहुंचकर सरकार का पुतला दहन करेंगे. धर्मगुरु बंधन तिग्गा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

बैकलॉग वैकेंसी की प्रक्रिया जल्द शुरू करे सरकार

इस बैठक में यह कहा गया कि संविदा की नियुक्तियों में एसटी-एससी आरक्षण का खुलेआम उल्लंघन हुआ है. मुख्यमंत्री इस तरह की गलती न करें, अन्यथा राज्य भर में आदिवासियों का बड़ा आंदोलन होगा. राज्य सरकार से मांग की गयी कि बैकलॉग वैकेंसी का आकलन कर उसके विरुद्ध नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू की जाये.

इन संगठनों ने किया विरोध

राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, केंद्रीय सरना समिति, झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म सोतो: समिति खूंटी, केंद्रीय सरना संघर्ष समिति रांची आदि आदिवासी संगठनों ने विरोध किया है.

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सरना धर्म कोड पर मेयर का बयान दिग्भ्रमित करने वाला

वक्ताओं ने कहा कि सरना धर्म कोड पर भाजपा नेत्री सह मेयर आशा लकड़ा का बयान आदिवासियों को दिग्भ्रमित करने वाला है. 11 नवंबर को जब इसका प्रस्ताव विधानसभा से पारित हुआ, तब भाजपा के विधायकों ने भी समर्थन दिया था. 2011 की जनगणना में अन्य धर्म कॉलम में देश भर से 79 लाख लोगों ने अपना-अपना धर्म दर्ज किया है. इनमें 49.57 लाख लोगों ने अपना धर्म सरना दर्ज किया, जो जैन धर्म से कहीं अधिक है. झारखंड में 42 लाख 35 हजार लोगों ने अन्य धर्म कॉलम में अपना-अपना धर्म दर्ज किया, जिसमें से 41 लाख 31 हजार लोगों ने अपना धर्म सरना धर्म दर्ज किया है. यह मुंडा, हो, संताल और राज्य की लगभग सभी जनजातीय समुदाय ने दर्ज किया. सरना धर्म को देश के 21 राज्यों में प्रभावी ढंग से अपनाया गया है. इसलिए इसे मात्र छोटानागपुर का कहना भ्रम पैदा करना है. मेयर की बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे आरएसएस की भाषा बोल रही हैं.

सरना कोड की मांग

यह भी कहा गया कि प्रदेश कांग्रेस सरना कोड की बात केंद्रीय कार्यसमिति दिल्ली में रखे, जिसके बाद कांग्रेस की भावना से केंद्र सरकार और राष्ट्रपति को अवगत कराया जाये. राज्य सरकार केंद्र व राष्ट्रपति के सामने स्पष्ट रूप से सरना कोड की वकालत करे. बैठक में डॉ करमा उरांव, बलकू उरांव, संगम उरांव, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, अमर उरांव, शिवा कच्छप, प्रभात तिर्की, रेणु तिर्की, रायमुनि किस्पोट्टा, सुमन खलखो, निर्मल पाहन, रंजीत उरांव, अस्मित मन तिर्की आदि थे.

आदिवासी जन परिषद ने भी किया विरोध

आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि हेमंत सरकार हजारों अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने की तैयारी में है. उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा कि संविदा पर नौकरी कर रहे कर्मियों को स्थायी करने से आदिवासी, दलित व पिछड़ों का आरक्षण समाप्त हो जायेगा. हेमंत सरकार असंवैधानिक काम कर रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीय के लिए नियोजन नीति बनाकर नयी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाये, अन्यथा आंदोलन तेज किया जाएगा.

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आदिवासी-मूलवासी की भावना से खिलवाड़ न करे सरकार : बंधु

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य समन्वय समिति के सदस्य बंधु तिर्की ने अनुबंधकर्मियों को नियमित किये जाने की प्रक्रिया का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि सरकार अनुबंधकर्मियों को नियमित करके आदिवासी-मूलवासी की भावना से खिलवाड़ न करे. उन्होंने कहा कि पूर्व में सारे नियमों को ताक पर रखकर सगे-संबंधियों को अनुबंध पर नियुक्त किया गया था. इनमें से 80 से 85 प्रतिशत कर्मी दूसरे प्रदेशों से हैं. इन्हें अनुबंध पर रखने के दौरान आरक्षण रोस्टर का भी पालन नहीं किया गया था. श्री तिर्की ने कहा कि एक तरफ हम आदिवासी-मूलवासी की बात करते हैं, दूसरी तरफ बाहरी को पिछले दरवाजे से नियमित करने जा रहे हैं. स्थानीयता को नये सिरे से परिभाषित किये बिना इन्हें नियमित कैसे किया जा सकता है. यह तो राज्य के आदिवासी-मूलवासियों की पीठ में छुरा घोंपने की तरह होगा. श्री तिर्की ने कहा कि सरकार जल्दीबाजी में ऐसा कोई कदम न उठाये, नहीं तो बाद में खमियाजा भुगतना पड़ेगा. सरकार अविलंब इस पर रोक लगाये. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा किया जा रहा है. सरकार ऐसे पदाधिकारियों को भी चिह्नित करे. नहीं तो सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है.

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