राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान व दिल्ली सरना समाज के बैनर तले विभिन्न सामाजिक- सांस्कृतिक संगठनों ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में महाधरना दिया. इसकी अध्यक्षता करते हुए धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासियों के सरना धर्म पर जिस तरह के अतिक्रमण और हमले हुए हैं, वह मानव जीवन व मानवता के लिए अभिशाप है. देश के आदिवासियों को अपनी रक्षा और धार्मिक अस्तित्व के लिए सचेत व गंभीर होना होगा.
आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मूर्मू ने कहा कि यदि पृथक सरना धर्म कोड आवंटित नहीं हुआ, तो आदिवासी बहुल राज्यों में चक्का जाम होगा. खिजरी के विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि सरना धर्म कोड के विषय में राजनीतिक पार्टी के नेताओं की असमंजस की स्थिति अच्छी बात नहीं है. जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें सरना धर्म कोड की मांग का समर्थन करना चाहिए. शिक्षाविद डॉ करमा उरांव ने कहा कि आजाद भारत में आदिवासियों की जीवन- संस्कृति पर कुठाराघात के लिए केंद्र व आदिवासी बहुल राज्यों की सरकारें जिम्मेदार हैं.
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मौके पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (सेंसस) को स्मार पत्र समर्पित कर मांग की गयी कि केंद्र जल्दी से जल्दी पृथक सरना धर्म कोड अधिसूचित करे. महाधरना को शिवा कच्छप, निर्मला भगत, रवि तिग्गा, मथुरा कंड़ीर, मणिलाल केरकेट्टा, नारायण उरांव, बिरसा कंडीर, संगम उरांव, सुभाष मुंडा ने संबोधित किया.
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धरना में निर्णय लिया गया कि रांची के मोरहाबादी मैदान में 26 फरवरी को सरना महारैली की जाएगी, जिसमें जिसमें भारत के साथ नेपाल, बांग्लादेश व भूटान से लाखों सरना धर्मावलंबी जुटेंगे. आगे की रणनीति के लिए मार्च-अप्रैल में दिल्ली में राज्य प्रतिनिधियों की बैठक की जायेगी.