रांची : ईडी की जांच और कार्रवाई के विरोध में विभिन्न आदिवासी संगठनों ने शुक्रवार को मोरहाबादी के ऑक्सीजन पार्क से राजभवन तक पैदल मार्च किया. इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय व अन्य संगठानों के लोग ढोल-नगाड़ों और बैनर-पोस्टर के साथ शामिल हुए. इन लोगों का आरोप था कि केंद्र सरकार के इशारे पर इडी राज्य की आदिवासी सरकार और आदिवासी मुख्यमंत्री को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है. इन्होंने चेतावनी दी कि अगर केंद्र सरकार और इडी का रवैया नहीं बदला, तो जिस तरह पश्चिम बंगाल में ईंट-पत्थर चले थे, झारखंड में तीर-धनुष चलेंगे और इनमें से कई तीर जहरीले भी होंगे.
पैदल मार्च में शामिल लोग राजभवन के समक्ष पहुंच धरने पर बैठ गये. यहां धरना को संबोधित करते हुए ‘केंद्रीय सरना समिति, झारखंड’ के अध्यक्ष अजय तिर्की ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के इशारे पर इडी हमारे मुख्यमंत्री को सात-आठ समन भेज कर बदनाम करने का प्रयास कर रहा है. मुख्यमंत्री ने जब शुरुआत में ही इडी कार्यालय जा कर आठ-नौ घंटों तक उसके हर सवाल का जवाब दिया, तो बार-बार समन करने और काम नहीं करने देने का क्या औचित्य? जनता ने सरकार को काम करने के लिए चुना है, न कि इडी के सवालों का जवाब देने के लिए. हमारा यह विरोध-प्रदर्शन सांकेतिक है.
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अगर केंद्र सरकार और इडी का रवैया नहीं बदला, तो उग्र आंदोलन होगा. श्री तिर्की ने सवाल उठाया कि इडी को सिर्फ झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ही क्यों नजर आता है? उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मुख्यमंत्री को बदनाम करने या जेल भेजने का प्रयास किया गया, तो हम जेल का फाटक भी तोड़ देंगे. जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन किया जायेगा.
केंद्रीस सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा, आदिवासी लोहरा समाज, कल्याणपुर सरना समिति, बामसेफ, आदिवासी सेना, एचइसी विस्थापित मोर्चा, संथाल समाज दिशोम मांझी परगना, खरवार भोक्ता समाज, बेदिया विकास परिषद, वैश्य समाज.