कोकर स्थित भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल पर दिन भर लगा रहा आदिवासी बहन-भाइयों और राजनेताओं का तांता
कोकर स्थित भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल पर आदिवासी बहन-भाइयों ने की पूजा
रांची : भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर कोकर स्थित भगवान बिरसा मुंडा समाधि स्थल पर लालपुर प्रार्थना सभा के सोमनाथ पाहन व अन्य सदस्यों ने पूजा की. इसके बाद नृत्य से समां बांधा. इस दल में कुमारी टोप्पा, निर्मला मुुंडा, गीता पाहन, जगन मुंडा, पूजा मुंडा, गीता सांगा, अंजलि सांगा, मुस्कान कच्छप, रंजीत पाहन, सोनू टोप्पो नीलिमा मिंज आदि उपस्थित थे.
दूसरी ओर केंद्रीय सरना समिति फूलचंद तिर्की गुट और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के सदस्य कोकर पहान टोली से ढोल, नगाड़ों की धुन पर नाचते गाते समाधि स्थल पहुंचे और प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी. श्री तिर्की ने कहा कि आज के दिन झारखंडवासी दोगुनी खुशी मना रहे हैं. यह बिरसा मुंडा की जयंती और स्थापना दिवस के साथ-साथ सरना आदिवासी कोड विधानसभा से पारित होने की खुशी मनाने का दिन है.
आदिवासी एकजुटता के साथ अपने हक अधिकार के लिए लड़ते रहें. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा, महासचिव संजय तिर्की, भुनेश्वर लोहरा, नीरा टोप्पो, विनय उंराव, शुक्रवारो उरांव, ज्योत्सना भगत, प्रशांत टोप्पो आदि मौजूद थे.
बिरसा के सिद्धांतों, कार्यों को आगे बढ़ाना है :
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि बिरसा मुंडा का सपना आज भी अधूरा है क्योंकि आदिवासियों, मूलवासियों को अभी तक नौकरी नहीं मिल रही है. झारखंड के हित में स्थानीयता नीति नहीं बनी है. सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन बेची जा रही है.
भूमि अधिग्रहण कानून 2017 अभी तक रद्द नहीं किया गया है. यह संकल्प लेने का दिन है मिलजुल कर बिरसा के सिद्धांतों व कार्यों को आगे बढ़ायेंगे. इस अवसर पर प्रधान महासचिव अभय भुटकुंवर, सिकंदर मुंडा, अनूप बड़ाइक, रंजीत लकड़ा, विक्की लोहरा, रंजीत उरांव, रोशनलाल केरकेट्टा, मनोज बडाइक आदि उपस्थित थे.
परंपराओं के प्रति कट्टर होना होगा
केंद्रीय सरना समिति (बबलू मुंडा गुट) के सदस्यों ने अध्यक्ष बबलू मुंडा की अगुवाई में प्रतिमा पर माल्यार्पण कर साहस और वीरता को याद किया. बबलू मुंडा ने कहा की जिस प्रकार बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ा था, उसी तरह हम लोगों को भी धर्मांतरण कराने वाले नकली आदिवासियों के विरुद्ध जंग छेड़ना होगा.
सरना आदिवासियों को रूढ़िवादी परंपराओं के प्रति कट्टर होना होगा, ताकि काेई अधिकार छीन नहीं पाये. जगलाल पाहन ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने महसूस किया था कि सामाजिक कुरीतियों के कोहरे ने जनजाति समाज को ज्ञान के प्रकाश से वंचित कर दिया है. महासचिव कृष्णकांत टोप्पो, संरक्षक राम सहाय सिंह मुंडा,सचिव डब्लू मुंडा, अमर मुंडा, अनिल उरांव, मुन्ना मुंडा इत्यादि उपस्थित थे
posted by :L sameer oraon