झारखंड: आदिवासी एकता महारैली को लेकर 24 जनवरी को मोरहाबादी में मसौदे का विमोचन, बोले कांग्रेस नेता बंधु तिर्की

कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड की स्थानीयता, पेसा, पांचवी अनुसूची, सीएनटी एक्ट, एसपीटी, जल, जंगल और जमीन के बचाव के साथ ही किसी भी आदिवासी और मूलवासी मुद्दे पर कभी भी कोई समझौता नहीं किया और ना ही करेंगे.

By Guru Swarup Mishra | January 23, 2024 5:48 PM

रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि आदिवासियों से जुड़े मुद्दे पर कभी भी किसी भी हाल में समझौता नहीं हो सकता. आदिवासियों की ज्वलंत समस्याओं पर गंभीर आदिवासी संगठन और समान विचारधारा के लोग एवं संगठन न केवल लड़ेंगे बल्कि निश्चित रूप से जीतेंगे भी. रांची के मोरहाबादी आवास में मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासी जनाधिकार मंच द्वारा 4 फरवरी 2024 को आयोजित आदिवासी एकता महारैली में आदिवासियों के ज्वलंत मुद्दों, समस्याओं और उनकी वर्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ से संबंधित विशेष मसौदे का लोकार्पण 24 जनवरी को मोरहाबादी मैदान के मंच पर इस महारैली के संयोजकों द्वारा किया जाएगा. बंधु तिर्की ने कहा कि इस समारोह में मुख्य अतिथि आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजीराव मोघे होंगे. इसके साथ ही गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राठवा के साथ अनेक गणमान्य नेता मौजूद रहेंगे.

23 विभूतियों के नाम पर बनेंगे तोरण द्वार

बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासी महारैली की तैयारी अंतिम चरण में है और इसमें भाग लेनेवाले लोगों के स्वागत में झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी, वीर आंदोलनकारी और झारखंड की 23 विभूतियों (बिरसा मुंडा, सिदो कान्हो, वीर बुधु भगत, जयपाल सिंह मुंडा, कार्तिक उरांव, डॉ रामदयाल मुंडा, बोनीफस लकड़ा, फूलो-झानो, सिनगी दई, नीलांबर-पीतांबर, देवेंद्र महली, सरना रत्न वीरेंद्र भगत, सरना रत्न एतो उरांव, डॉ करमा उरांव, प्रवीण उरांव, सरना रत्न धर्म गुरु जयपाल उरांव एवं ठेवले उरांव समेत अन्य) के नाम पर तोरण द्वार का निर्माण किया जाएगा. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस बात की आलोचना की कि अनेक संगठनों, नेताओं एवं राजनीतिक दलों द्वारा 4 फरवरी को आयोजित आदिवासी एकता महारैली को केवल ईसाई आदिवासियों की रैली के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जो पूरी तरीके से गलत है. उन्होंने कहा कि भाजपा, आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों को छोड़कर यह, प्रदेश के धर्मनिरपेक्ष, समान विचारधारा और इसके साथ-साथ आदिवासियों के मामले पर बेहद गंभीर लोगों, राजनीतिक दलों एवं संगठनों की संयुक्त महारैली है और इसमें भेदभाव के बिना सभी की सहभागिता है. उन्होंने कहा कि सरना कोड सभी आदिवासियों की मांग है लेकिन भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और दक्षिणपंथी संगठनों के साथ ही अनेक नेताओं द्वारा केवल और केवल चुनाव के दृष्टिकोण से मुद्दे को भटकाया और भड़काया जा रहा है.

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आदिवासी और मूलवासी के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं

कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड की स्थानीयता, पेसा, पांचवी अनुसूची, सीएनटी एक्ट, एसपीटी, जल, जंगल और जमीन के बचाव के साथ ही किसी भी आदिवासी और मूलवासी मुद्दे पर कभी भी कोई समझौता नहीं किया और ना ही करेंगे. राज्य में आदिवासियों की 32 जनजातियों के साथ ही, आदिवासी हितों के प्रति समर्पित सभी लोगों को विशेष रूप से एकजुट होकर, सरना कोड और अपनी समस्याओं को मुखरता से सामने रखना चाहिए और जीतने के लिए अपना पूरा प्रयास करने की जरूरत है. तीन-चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत तक झारखंड के विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन और इसके नेता झारखंड में सभी मुद्दों के ध्रुवीकरण करने के साथ-साथ, एक तरफ हिंदू – मुस्लिम और दूसरी तरफ ईसाई-सरना के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके पीछे कारण यह भी है कि हाल में उन्हें छत्तीसगढ़ में इससे फायदा हुआ है और झारखंड में भी भाजपा और उसके नेता ऐसा ही कारनामा कर सत्ता को अपने कब्जे में लेना चाहते हैं, पर छत्तीसगढ़ वाली उनकी चाल को झारखंड के लोग कभी भी सफल नहीं होने देंगे क्योंकि जनता इन बातों को अच्छी तरीके से जान गयी है.

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